इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ छत्तीसगढ़ : Indira Kala Sangeet Vishwavidyalaya Khairgarh Chhattisgarh

खैरागढ़ स्थित इंदिरा संगीत विश्वविद्यालय का इतीहास (Khairagarh University History) : रायपुर जिले से करीब 140 कि.मी. तथा डोगरगढ़ से महज 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित खैरागढ़ इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के लिए न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि पूरे देश भर में काफी प्रसिद्ध है। स्वाधीनता से पूर्व खैरागढ़ एक रियासत थी। खैरागढ़ रियासत की राजकुमारी जिनका नाम इंदिरा थी, की स्मृति में स्थापित खैरागढ़ का इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय पूरे एशिया महाद्वीप का इकलौता ऐसा विश्वविद्यालय है, जो कला तथा संगीत को समर्पित है।

राजकुमारी इंदिरा को संगीत से बेहद ही लगाव था। उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके माता-पिता, राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती देवी जो कि खैरागढ़ रियासत के भूतपूर्व नेरश भी थे, उनकी इच्छा थी कि उनकी पुत्री राजकुमारी इंदिरा की संगीत से लगाव की स्मृति अक्षुण्ण बनी रहे। इस प्रयोजन हेतु राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह के द्वारा अपना राजमहल कमल विलास महल, संगीत महाविद्यालय की स्थापना हेतु दानस्वरूप दिया गया था। हरे-भरे धान तथा कपास के खेतों के बीच में स्थित खैरागढ़, सांस्कृतिक गतिविधियों का एक मुख्य केंन्द्र बिंदु है। इंदिरा कला और संगीत विश्वविद्यालय 1944 में संगीत महाविद्यालय के रूप में स्थापित हुआ था।

इसे विश्वविद्यालय का दर्जा 1956 में प्राप्त हुआ। स्वतंत्रता के पश्चात् स्थापित प्रारंभिक विश्वविद्यालयों में से एक, इसका कार्यक्षेत्र संपूर्ण भारत में ही है। वर्तमान में पूरे भारत देश के 46 महाविद्यालय इससे जुड़े हुए है। देश-विदेश से यहां छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए आया करते हैं।

 

Khairagarh kala Sangit University

विश्वविद्यालय मुख्य बातें (Khairgarh): विभिन्न पारंपरिक संगीत तथा नृत्यकला की शिक्षा और शोधकर्ता की सुविधा प्रदान करता है। विभिन्न विषयों जैसें-संगीत, शास्त्रीय संगीत (जिसमें हिन्दुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत का समावेश है), भारतीय शास्त्रीय वाद्य संगीत – ( सितार, सरोद, तबला, वायलिन,कर्नाटक वायलिन, वीणा इत्यादि), भारतीय लोक नृत्यकलाएं तथा लोक संगीतकलाएं, पारंपरिक मूर्तिकला, चित्रकला मार्डर्न.. मूर्तिकला और चित्रकला के इतिहास पर अध्ययन और शोधकार्य करने की सुविधा है। 

विशेष विषयों में तबला पखावज तथा मृदंगम की शिक्षा, हिंन्दुस्तानी ख्याल, ठुमरी, द्रुपद तथा दादरा की शिक्षा भी प्रदान की जाती है। विभिन्न पारंपरिक और लोक वाद्य यंत्रों से सज्जित गैलरी इस विश्वविद्यालय का मुख्य आकर्षण बिंदु है।

इसके अतिरिक्त भारतीय पारंपरिक तथा आधुनिक चित्रकला, लोक चित्रकला और आदिवासी चित्रकला से सज्जित गैलरी एवं पुरातात्विक संग्रह भी इस विश्वविद्यालय के अन्य आकर्षण केंद्र बिंदु हैं। यहां से जुड़ी 43000 ग्रंथों से युक्त पुस्तकालय भी स्थित है, जिसमें इन कलाओं के आडियो-वीडियो क्लिपों का संग्रह मौजूद है।

इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय द्वारा पंडित रविशंकर (सितार), लता मंगेश्कर (गायन), रूक्मणी देवी अरूणंदले (नृत्य) अलाउद्दीन खां (सितार), एम. एम. सुब्बलक्ष्मी (कर्नाटक संगीत) तथा पपुल जयकर इत्यादि को डाक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय कला और संगीत को समर्पित एक ऐसा शैक्षणिक संस्थान है, जो यहां आने वाले हर एक के मन में एक अनूठी छाप छोड़ने में सफल रहता है।

 

गंडई (Khairagadh to Gandai) : खैरागढ़ के नजदीक 30 कि.मी. में गंडई स्थित है, जो कि भोरमदेव से समान दूरी पर स्थित है। यहां पर कवर्धा के फणिनाग कालीन 13वीं शताब्दी ईसवी का शिव मंदिर है। इस शिव मंदिर का स्थानीय नाम देउर है।

त्रिरथ शैली में बना यह भव्य मंदिर फणिनाग कालीन वास्तु विन्यास और मूर्ति निर्माण की समृद्ध परंपरा का जीवित उदाहरण है। गंडई से कुछ दूरी पर घटियारी गांव में शिव मंदिर के भग्नावशेष हैं। इस मंदिर में मण्डप, अंतराल और गर्भगृह निर्मित है। यह पंचायतन शैली का है। यहां से प्राप्त नटराज तथा त्रिपुरान्तक शिव की मूर्ति अत्यंत आकर्षक है। इसके अतिरिक्त अंधकासुर वध मूर्ति एवं अन्य अवशेष भी कलात्मक है। घटियारी के समीप कटंगी गांव में भी 12 वी शताब्दी के भग्नावशेष हैं।

 

खैरागढ़ की आवास व्यवस्था ( Housing System in Khairagdh) : यहां पर विश्राम गृह तथा धर्मशाला उपलब्ध है और राजनांदगांव में निजी होटल्स भी उपलब्ध हैं।

 

खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय कैसे पहुंचे (How to reach khairagadh sangit University) : –

वायु मार्ग द्वारा : राजधानी रायपुर निकटतम हवाई अड्डा है जो मुंबई, भुवनेश्वर, कोलकाता, दिल्ली, नागपुर, चेन्नई हैदराबाद, बेंगलूरू तथा विशाखापट्टनम से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग द्वारा : हावड़ा-मुबंई मुख्य मुख्य रेल मार्ग पर स्थित राजनांदगांव एवं डोंगरगढ़ (40 कि.मी.) समीपस्थ रेलवे जंक्शन स्थित है।

सड़क मार्ग द्वारा : राजनांदगांव जिले से निजी वाहनो द्वारा आसानी से सड़क मार्ग से यात्रा किया जा सकता है।

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