भिलाई के जवान कौशल यादव ने अकेले ही 5 पाकिस्तानियों को मारकर जुलू टॉप जीता था :- छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के वीर सपूत कौशल यादव की शहादत को पूरा देश नमन कर रहा है। उन्होंने 1999 में पाकिस्तान से करगिल युद्ध के दौरान अकेले ही जुलू टॉप चोटी पर 30 पाकिस्तानी सैनिकों को शिकस्त दी थी। कौशल ने अकेले ही 5 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। इस्पात नगरी के वीर सपूत शहीद कौशल यादव ऑपरेशन विजय में 25 जुलाई 1999 को भारत-पाक सीमा पर वीरगति को प्राप्त हुए थे।
भिलाई में स्थित शहीद कौशल यादव का स्मारक :- करगिल युद्ध की जब भी बात होती है, तो शहीद कौशल यादव की शहादत का जिक्र जरूर होता है। परिवार वाले बताते हैं कि कौशल को बचपन से सेना में जाने का शौक था। वह स्कूल के दिनों से ही सेना के बारे में जानकारी एकत्र किया करते थे। पढ़ाई लिखाई से ज्यादा उन्हें खेल कूद में रुचि थी। उन्होंने छोटी उम्र से ही सेना में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी। स्कूली पढ़ाई के बाद जब BSc प्रथम वर्ष में थे, तभी उनका चयन भारतीय सेना में हो गया था।
इंडियन आर्मी के नाइन पैरा यूनिट में हुए तैनात :- कौशल यादव को साल 1989 में इंडियन आर्मी के नाइन पैरा यूनिट ऊधमपुर में तैनाती मिली थी। 1999 के करगिल युद्ध में उन्हें जुलु टॉप में ऑपरेशन विजय की कमान सौंपी गई। उन्हें जुलु टॉप को पाक सैनिकों के कब्जे से मुक्त कराने की जिम्मेदारी थी। 25 जुलाई 1999 को अपने साथियों के साथ मिलकर पाकिस्तानी सैनिकों के पांव उखाड़ दिए। पाकिस्तानी सेना ने लगातार ऊपर से गोलीबारी की। इसके बाद बावजूद वो नहीं रुके और पांच पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर दिया।
वीर चक्र से सम्मानित हैं शहीद कौशल यादव :- गोलियों से बुरी तरह शरीर छलनी होने के बाद भी कौशल ने हिम्मत नहीं हारी और जुलु टॉप को पाकिस्तानी कब्जे से मुक्त कराया। जुलु टॉप पर विजय पताका के रूप में भारत का तिरंगा फहराया। हालांकि, भारतीय सीमा की दुश्मनों से रक्षा करते हुए वे शहीद हो गए। देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले कौशल यादव को उनके अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम के लिए भारत सरकार ने मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया।
छत्तीसगढ़ में शहीद कौशल यादव पुरस्कार की स्थापना :- छत्तीसगढ़ खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने शहीद कौशल की स्मृति में जूनियर खिलाड़ियों के लिए राज्य स्तरीय शहीद कौशल यादव पुरस्कार की स्थापना साल 2018-19 में की। वे भिलाई के हुडको सेक्टर के रहने वाले थे। जिस कॉलोनी में वह रहते थे, उसका नाम बदल कर शहीद कौशल यादव कर दिया गया।