पहली बार केले, भिंडी के रेशों से बनेगी राखियां : किसान के आइडिया पर गांव की महिलाओं ने बनाई 200 राखिया विदेशों से मिला ऑर्डर, अब 2 लाख पीस बनाकर बाजार में उतरेंगे रखी

 


Pahali Bar Chhattisgarh Me Banaya Ja Rha Hai Kele Aur Bhindi Ke Reso Se Rakhiya
: छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले की महिलाओं ने यूनिक कॉन्सेप्ट के साथ राखियां बना रहे है। ये राखियां किसी आम धागों से तैयार नहीं की जा रही है बल्कि इनमें गांव की मिट्‌टी में उगाइ गई फसलों के रेशे हैं। इन हैंड मेड राखियों के लिए अब विदेशों से भी ऑर्डर आ रहे हैं। ट्रायल के तौर पर सिर्फ 200 राखियां बनाई गई थीं। अब ऑर्डर इतने हैं कि त्योहार से पहले 2 लाख राखियां बनाकर बाजार में बेची जाएंगी और गांव की गरीब महिलाओं को इससे आमदनी का एक नया जरिया मिल गया

 
रायपुर के इस सेंटर में किसानों को खास ट्रेनिंग दी जाती है।
केला, अलसी, भिंडी स्थानीय स्तर पर खाए जाने वाले सब्जियां जैसे अमारी, चेच भाजी के रेशों से इस राखी को तैयार किया गया है। पूरी तरह हाथ से बनने वाली एक राखी को तैयार करने में करीब आधे दिन का वक्त लग जाता है। महिलाएं चाहती हैं कि इन्हें मशीनों का साथ मिले तो काम और तेजी से होगा। इसके लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, पंजाब नेशनल बैंक का कृषक प्रशिक्षण अभियान भी महिलाओं की सहायता करने को तैयार है। फिलहाल यह राखियां जल्द रायपुर में महिला स्व सहायता समुहों के दुकान में 50 से 100 रुपए तक की कीमत पर बेची जाएगी
 
विदेशों से मिले रहे ऑर्डर
महिलाओं का कहना है कि अगर मशीन न मिलें तो भी वे आस-पास के 5 गांवों से 500 महिलाओं के साथ मिलकर दो लाख राखियां बना लेंगी। फिलहाल जांजगीर जिले के बहेराडीह गांव की महिलाओं का समूह इन राखियों को तैयार करने का कार्य कर रही है। शुक्रवार को रायपुर में महिलाओं ने इन राखियों का स्टॉल भी लगाया जहां, इन्हें लोगो ने काफी पसंद किया। कई सरकारी विभागों के अफसरों ने अपने डिपार्टमेंट्स के लिए इन्हीं राखियों का ऑर्डर दिया है। कनाडा, जर्मनी और अमेरिका में भी ऑर्गेनिक और हैंड मेड प्रोडक्ट पसंद करने वाले भारतीयों ने इस प्रकार की राखी का ऑर्डर भेजा है।
 
सैंकड़ों महिलाओं को मिलेगा रोजगार के अवसर
रेशों से राखियां बनाने का आइडिया इन महिलाओं को जांजगीर जिले के क्रिएटिव किसान रामाधार देवांगन ने दिया है। 64 साल के रामाधार इससे पहले केले के रेशों को मिलाकर कपड़ा बुन चुका हैं। उन्होंने ही ये तरीका महिलाओं को सिखाया है। रामाधार ने बताया कि ये कॉन्सेप्ट यूनिक और हैंडमेड होने की वजह से बेहद पसंद किया जा रहा है। हम जांजगीर जिले के दूसरे गांवों की महिलाओं को भी इस काम से जोड़कर उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस काम से एक दिन में महिलाएं 300 रुपए तक कमा सकती हैं। राखियों के बिकने से जो फायदा होगा वो भी महिलाओं के काम आएगी

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