रतनपुर एक धार्मिक एवं दर्शनीय स्थल : Ratanpur Bilaspur Chhattisgarh

Ratanpur Ek Dharmik Sthal: रतनपुर एक धार्मिक एवं दर्शनीय स्थल है जहां अनेकों मंदिर है , अगर आप एक ही दिन में यहां के सभी मंदिरों का दर्शन करना चाहे तो पूरे एक  दिन का समय भी कम पड़ जाए । रतनपुर को कल्चुरी वंश के शासन काल में छत्तीसगढ़ की राजधानी घोषित किया गया था उस समय यहाँ लगभग 1200 से भी अधिक तालाब थे , जिसके कारण इसे तालाबों का शहर भी कहा जाता है । हालांकि वर्तमान में इनकी संख्या महज  200 से 250  ही रह गई है । रतनपुर में अनेक मंदिर है लेकिन यह विशेष रूप से महामाया देवी के मंदिर से विख्यात है।

जहाँ महामाया देवी की शक्तिपीठ मौजूद है। रतनपुर में श्रद्धालुवों की भीड़ साल भर बनी रहती है लेकिन नवरात्री के दिनों में यहाँ की भीड़ देखते ही बनती है,नवरात्रि के दिनों में यहाँ हजारों , लाखो श्रद्धालुवो का भीड़ उमड़ा रहता है यहाँ नवरात्र के दिनों में लोग घंटो तक लाइन में लगे रहते है तब जाकर  देवी मा के दर्शन कर पाते है , कभी कभी यहाँ इतनी भीड़ रहती है की लाइन गेट के बहर तक पहुच जाती है , यहां सालभर मेला लगा ही  रहता है जैसा की चंदरपुर में स्थित चंद्रहासिनी देवी मां के मंदिर में लगा हुआ रहता है , लेकिन नवरात्र के दिनों में यहां मेले में भराव अधिक होता है ।

 

Ratanpur Maghi punni mela

 
रतनपुर मांगी पूर्णी मेले का आयोजन: यहां फरवरी के महीने में साल में एक बार मेले का आयोजन होता है जो छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मेलो में से एक है यहां से अत्यधिक सामानों की बिक्री एवं खरीदी होती है , काफी दूर दूर से यहाँ मेले घुमने के लिए लोग आया करते है , जो छत्तीसगढ़ राज्य की आय में भी एक अहम भूमिका निभाती है। यहां अनेक झूले और प्रदर्शनी सामग्री भी अपना मनोरम दृश्य बया करती है ।
 
यहां आपको कई पहाड़ भी देखने को मिलते है इन पहाड़ों में से ज्यादातर पहाड़ों में देवी देवताओं के मंदिर स्थित है  –
 
Lakhni Devi Temple
लखनी देवी मंदिर रतनपुर
 
लखनीदेवी मंदिर Lakhanidevi : इन्हीं मंदिरों में से  एक है लखनीदेवी मां की मंदिर है , जहां पहुंचने के लिए आपको लगभग 270  सीढ़ियां पहाड़ में चढ़नी होती है।  यह लगभग 500 मीटर की उचाई पर स्थित है ।इससे और उपर पहाड़ की चोटी पर हनुमान जी का विशाल एवं भव्य मूर्ती निर्मित है जहा पहुंचने के लिए मार्ग भी बना हुआ है इसमें आप अपने साधन मोटर गाड़ियों से भी वहा जा सकते है। यह विशाल मूर्ती दूर दूर तक देखी जा सकती है । यहां जाकर पूरे रतनपुर को देखा जा सकता है।
 
 
Ramtekri
राम टेकरी मंदिर रतनपुर
 
श्री रारामटेकरी मंदिर shree Ramtekri Mandir:रतनपुर में रमटेकरी मंदिर भी एक ऐसा मंदिर है जो पहाड़ में स्थित है यहां जाने के लिए विशेष मार्ग बना है जिसमे आप मोटर गाड़ी एवं कार के मदद से भी जा सकते है । इसके साथ ही यहाँ एक पहाड़ ” काका पहाड़ ” के नाम से जाना जाता है जो यह के सबसे ऊंचा पहाड़ है । इसके अलावा राधामाधव मंदिर ,  गिरजा बन्द में हनुमान जी का मंदिर , भैरव  बाबा का मंदिर ,  शिद्धी विनायक मंदिर इत्यादि अनेकों मंदिर यहां स्थित है ।
 
Khutaghat dam
Khutaghat dam ratanpur

खुटाघाट बांध Khutaghat Dam :  महामाया देवी के मंदिर से लगभग 5 से 7 किलोमीटर की दुरी पर खुताघट बांध स्थित है ,रतनपुर  आने वाले श्रद्धालु  दर्शनोपरांत खुटाघाट बांध के सुन्दर दृश्य को निहारने अवश्य जाया करते है ,खुटाघाट भी अपने चारो तरफ लगभग पहाड़ से ही घिरा हुआ है जिसके चलते यहां बारिश के दिनों में बहुत अधिक वर्षा होती है जिससे बांध में अत्यधिक पानी जमा  हो जाता है, जिससे यहाँ से ओवर फ्लो भी होती  है जो एक नदी का रूप लेते हुए खरुंग नदी के नाम से बहती है , खुटाघाट में अक्सर लोग पिकनिक टूर में आया करते है यहां २ गार्डन भी है जो दर्शकों को लुभाती है ।

पौराणिक मान्यताये: माना जाता है कि रतनपुर में स्थित महामाया देवी की प्रतिमा  के पीछे उनका सिर है एवं उनका  धड़ अम्बिकापुर में स्थित है, ऐसी मान्यता है कि हर साल वहां मिट्‌टी का सिर बनाये जाते है , ठीक ऐसा ही संबलपुर के राजा के द्वारा भी  देवी मां की प्रतिरूप संबलपुर ले जाया गया , जिन्हें समलेश्वरी देवी के रूप में वहा  स्थापित करने की बात कही जाती है,माँ समलेश्वरी देवी की विशाल भव्यता को देखकर दार्शनिक डर जाया करते  थे, साथ ही  ऐसी मान्यता है कि देवी माँ के मंदिर में पीठ करके प्रतिष्ठित किया गया । निश्चित ही मैत्री भाव तथा अपने राज्य की सुख,शांति एवं समृद्धि के लिए पुराने ज़माने में रजा महराजावों के द्वारा यहाँ की देवी की प्रतिमूर्ति अपने राज्य में स्थापित किया गया , जो आज वहा के लोगों की श्रद्धा का केंद्र हैं।

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