रतनपुर मांघी पूर्णी मेला, रतनपुर में पूरी क्षमता के साथ लगने जा रहा है मेला, छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मेलों में से एक है रतनपुर मेला..!

 

Ratanpur Manghi Purni Mela 2022 : रतनपुर में हर साल मांघी पूर्णिमा के दिन एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमे भरी संख्या में लोग मेले खूमने हेतु आते है। किंतु इस बार कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए ऐसा लग रहा था की मेले का आयोजन नही किया जायेगा। परंतु वर्तमान में कॉरोना छत्तीसगढ़ में काफी हद तक कम हो गई है। ऐसे में एक बार फिर मेले के आयोजन किए जाने की खबर सामने मिली है। 

किस दिन से प्रारम्भ होता है रतनपुर मेला? : इस बार भी रतनपुर नगर में मांघी पूर्णी के दिन जो की बुधवार यानी 16 फ़रवरी को मेले का सुभारम्भ होने जा रहे है। अभी से ही मेला स्थल पर तैयारी शुरू हो गई है, झूले और कई दुकानें अभी से ही अपनी तैयारी शुरू कर दिया है। जैसा की हम जानते है कि रतनपुर में लगने वाला मांघी पूर्णी मेला की प्रसिद्धि काफी दूर दूर तक है, रतनपुर स्थित मां महामाया मंदिर की प्रसिद्धि के कारण रतनपुर मेला काफी विख्यात हुई है और काफी दूर दूर से लोग यहां आया करते है।

रतनपुर में किस जगह लगती है मेला? : माघी पूर्णिमा के दिन ही सुबह से ही लोगों की भारी भीड़ दुल्हरा तालाब में देखने को मिलती है। इस तालाब में स्नान करने के बाद श्रद्धालु रतनपुर मेला देखने जाते हैं। रतनपुर का माघी मेला आठा बिसा नामक तालाब के पास लगता है। यानी रामटेकरी मंदिर तथा गिरजाबन्द हनुमान जी के मंदिर जाने की गेट के पास से ही मेले के लिए दुकानें शुरू हो जाती है, को काफी दूर तक और मैदान के अंदर पूरी तरह भरी रहती है।

मेले लगने की पौराणिक मान्यताएं : इसके अलावा मान्यता यह भी है कि पुरातन समय में राजा की 28 रानियों द्वारा पूर्णिमा के ही दिन राजा के शव के साथ सती की गई थी। उन्हीं की याद में एक सती चौरा मेला स्थल पर आज भी यहां पर विद्यमान है। तथा उसी स्थल पर आठाबिसा तालाब खुदवाया गया था। और उनकी की यादों में यह मेला तब से लेकर अब तक आयोजित होती चली आ रही है। 

मेले में समय के साथ बदलाव : लेकिन समय के साथ ही साथ इस मेले का स्वरूप भी काफी बदलते गया। तत्कालीन विधायक राजेंद्र प्रसाद शुक्ला के किए गए प्रयासों से इस मेले को आदिवासी मेला मे जोड़ दिया गया था, तब से लेकर यह भव्य मेला रतनपुर की पहचान बन गई है। यहां पर हर साल एक सप्ताह तक रात्रिकालीन छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ करता है लेकिन इस कोरोना काल की वजह से एक बार फिर से मेला पारंपरिक मेला के रूप में ही आयोजित हो रही है।

रतनपुर मेला में क्या इस बार प्रदर्शनी लगेगी ? : रतनपुर मेला स्थल के पास ही प्रशासनिक प्रदर्शनी तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हर बार किया जाता है लेकिन पिछले वर्ष भी कोरोना के चलते कोई भी कार्यक्रम नहीं हुआ था और अब इस बार भी कोई भी प्रर्दशनी तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं हो रहा है। यहां अनेक तरह तरह के प्रोजेक्ट देखने को मिलते है, कई तरह की हाथ से निर्मित कलाकृति के दर्शन यहां के प्रदर्शनी में देखने को मिलते है। जो इस वर्ष फिर से देखने को नहीं मिलेगी।

रतनपुर मेला कितने दिनों का होता है? : वैसे तो रतनपुर की माघी पुर्णिमा मेला पूरे एक सप्ताह भर का होता है लेकिन मेले में भराव ही ऐसी रहती है की यह 10 से 15 दोनो तक पहुंच जाती है। यहां के मेले में सभी प्रकार की दुकानें लगते है अनेक प्रकार के झूला, मीना बाजार , खिलौना ,जूते चप्पल से लेकर बर्तन ,होटल ,ओखरा,कपड़े की भारी मात्रा में दुकान यानी हर तरह की दुकानें इस मेले में लगे रहते है। डबल मंजिल वाली मौत कुंए यहां की सुंदरता बढ़ती है और लोगो की अपनी ओर खींचती है।

मेले की आकर्षण का केंद्र बिंदु :  छत्तीसगढ़ की सबसे प्रसिद्ध मेले में से एक है रतनपुर मेला,वहीं इस मेले के आकर्षण के रूप में यहां के कुछ पुराने मोहल्ले में रहने वाले परिवारों के द्वारा अपने हाथों से बनाएं गए लकड़ी के खिलौने तलवार चिड़िया गाड़ी इत्यादि अनेक तरह के समान इस मेले के सुंदरत को कई गुना बढ़ा देता लगाते हैं। यह यहां की आय का भी एक प्रमुख स्रोत है हर साल यहां से करोड़ों की समान की बिक्री होती है।

Note – हम यह पूरी जानकारी आसपास के लोगो तथा मेला स्थल के लोगो से सलाह लेकर के दे रहे है, अब तक इस पर प्रशासन की ओर से हमे कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। अतः इस सूचना की सत्यता को हम प्रमाणित नहीं करते है।

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