Medicine Business Plan : कोरोना संक्रमण के दौर ने दवाओं तथा मेडिकल स्टोर्स की असली अहमियत लोगों को समझा कर रख दिया है। इस दौर में यह देखा गया है कि कैसे लोग दवाओं के लिए मेडिकल स्टोर्स तथा अस्पताल के चक्कर लगाते थे। वहीं, दूसरी ओर कोरोना काल के बाद से मेडिकल व्यवसाय में काफी अधिक बढ़ोतरी देखने को मिली है। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी समाज में हैं, जो यह व्यवसाय तो करना चाहते हैं लेकिन उनकी पढ़ाई इसके आड़े आ रही है। तो आपको यह बता दें कि यदि 12वीं पास युवा भी मेडिकल व्यवसाय करना चाहे तो कर सकता है।
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दरअसल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कॉस्मेटिक्स एंड ड्रग्स ऐक्ट के मेडिकल के नियमों में कुछ बदलाव कर दिया गया है। इन नियम के तहत अब यदि कोई भी व्यक्ति, जो 12वीं पास है तथा वह मेडिकल के व्यवसाय के क्षेत्र में डिवाइसों की खरीद एवं ब्रिक्री करना चाहे तो कर सकता है। इससे पहले उन्हें फार्मासिस्ट की ड्रिग्री लेनी पड़ती थी। लेकिन अब उन्हें इसकी जरुरत भी नहीं होगी तथा साथ ही अब इसके लिए लाइसेंस बनवाने की भी कोई जरुरत नहीं होगी। बिना लाइसेंस के भी उनके द्वारा यह व्यवसाय किया जा सकेगा। मेडिकल डिवाइसों की बिक्री हेतु केवल पंजीकरण कराना अनिवार्य होगी।
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मेडीकल खोलने के लिए जरूरी शर्ते : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से नियमों में बदलाव को लेकर यह कहा गया है कि केवल 12वीं पास करके कोई भी इस व्यवसाय में अपना कदम दख सकता है। लेकिन यह व्यवसाय करने हेतु उनके उसके पास एक साल का अनुभव होना आवश्यक है। चिकित्सा उपकरण 2017 के नियम में संशोधन के साथ खरीद तथा बिक्री के लिए बिना लाइसेंस की अनुमति दे दिया है।
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कोरोना महामारी के दौरान चिकित्सा उपकरण व्यापार में विनियमन का काफ़ी अभाव दिखाई देने से इलाज में कई तरह को समस्या आई थी। जिसके कारण से बाजार में कई ड्यूबिलिकेट चीजों को भी बेचा गया था। साथ ही छोटी से छोटी चीजों की काफ़ी अधिक दाम भी वसूले गए थे। प्रिवेंटिव वियर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (PWMAI) के अध्यक्ष, संजीव रिलहान के द्वारा यह कहा गया है कि इस नियम में बदलाव के साथ मेडिकल का व्यापार आसानी से किया जा सकेगा तथा बाजार में इन चीजों की कमी महसूस नहीं होगी।
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मेडीकल दुकान कैसे खोलें : अगर आप भी यह व्यवसाय करना चाहते हैं तो आपको अपने राज्य के किसी भी रेगुलेटर के पास पंजीकरण कराना होगा। इस पंजीकरण के बाद ही आप डॉग्नोस्टिक्स, इंफ्रा-रेड थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर तथा पीपीई जैसी चीजों का सेल कर सकेगे। आपको यह भी बता दें कि भारत दुनिया भर में चिकित्सा उपकरणों हेतु शीर्ष 20 बाजारों में शामिल है। आईबीईएफ की यह अनुमान है कि बाजार के 2025 में 37% सीएजीआर (CAGR) से बढ़कर 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद बनी हुई है, जो 2020 में 75,611 करोड़ (10.36 अरब डॉलर) था।
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