छत्तीसगढ़ के शिवलिंग में चढ़ाया जल कहा जाता है किसी को नहीं पता… जानिए कहां है यह शिवलिंग, the water missing in Shivling of Chhattisgarh

 

Ratanpur Chhattisgarh: कहते हैं सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का महीना है। शास्त्रों के अनुसार इस पूरे महीने भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर रहते हैं। इसलिए हर शिव लिंग में शिव का वास माना जाता है, लेकिन हम आ क्यू एआआपको सावन के इस पावन महीने में एक ऐसे अद्भुत, अलौकिक और रहस्यमय शिवलिंग के बारे में बताने और दर्शन कराने जा रहे हैं, जिसके दर्शन मात्र से आपका रोम-रोम शिवमय हो जाएगा।
 
 
बूढ़ा महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वंयभू:
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मां महामाया की नगरी रतनपुर जिसे लहुरीकाशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर रामटेकरी के ठीक नीचे बूढ़ा महादेव का मंदिर स्थापित है। इस मंदिर को वृद्धेश्वरनाथ के नाम से भी पुकारा और जाना जाता है। कहते हैं कि बूढ़ा महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वंयभू है और यदि इसे गौर से देखें तो भगवान शिव की जटा जिस प्रकार फैली होती है ठीक उसी प्रकार दिखाई देता है। शिवलिंग के तल पर स्थित जल देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानों पूरी आकाशगंगा या ब्रम्हांण्ड इसमें समाया हुआ हो। इस शिवलिंग में जितना भी जल अर्पित कर ले उसका जल उपर नहीं आता और शिवलिंग के भीतर के जल का तल एक सा बना रहता है इस शिवलिंग पर चढ़ाया जल कहां जाता है यह आदिकाल से आज तक इस रहस्य को कोई ना जान सका। सावन के पवित्र माह में भगवान शिव के इस अद्भुत शिव लिंग पर जलाभिषेक करने हजारों की तादात में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। कांवरिये अपने कांवर का जल लेकर बूढ़ा महादेव को चढ़ते हैं।
 

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