छत्तीसगढ़ के स्कूलों में मनाया जायेगा गेड़ी तिहार : मुख्यमंत्री के साथ छात्रा भी चढ़ेंगे गेड़ी, होगी कई प्रतियोगिताएं, Gedi Tihar will be celebrated in Chhattisgarh schools

 
 
Gedi Tihar celebrated in Chhattisgarh schools: प्रदेश में हरेली के त्योहार को सरकार भी पूरे जोश में मनाती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गेड़ी पर चढ़े दिख जाते हैं। अब प्रदेश के हर स्कूल में बच्चे भी गेड़ी पर चढ़ते दिखेंगे। राज्य सरकार के नए आदेश के मुताबिक 28 जुलाई को हरेली पर्व के अवसर पर पूरे प्रदेश के स्कूलों में गेड़ी नृत्य और गेड़ी प्रतियोगिता का आयोजन करने के निर्देश दिए हैं।
 
इसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को प्रोत्साहित करना और बच्चों को इनसे जोड़ना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेली पर्व के अवसर पर विशेष रूप से आयोजित होने वाले गेड़ी नृत्य एवं गेड़ी प्रतियोगिता का आयोजन स्कूलों में होगा, बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाएगा।
 
सरकार मनाती है हरेली तिहार: राज्य की सांस्कृतिक विविधताओं और गौरवशाली परंपराओं को सहजने और संरक्षित करने की दिशा में प्रदेश की सरकार हर साल हरेली तिहार मनाती रही है। इससे पहले रायपुर के CM आवास में कई कार्यक्रम होते रहे हैं। इस बार हर स्कूल में कार्यक्रम होंंगे।
 
हरेली पर्व पर गेड़ी का बहुत ही महत्व है। प्रत्येक घर में गेड़ी का निर्माण किया जाता है, घर में जितनी युवा बच्चे होते हैं इतनी ही गेड़ी का निर्माण किया जाता है। हरेली के दिन से गेड़ी चढ़ने की शुरूआत होती है जो भादो में तीजा, पोला के समय तक चलती है। मान्यताओं के मुताबिक तब बच्चे तालाब जाते हैं और स्नान करते हैं गेड़ी को तालाब में ही छोड़ कर आ जाते हैं।
 
 
इस वजह से भी चढ़ते हैं गेड़ी: गेड़ी का एक महत्वपूर्ण पक्ष है कि इसका प्रचलन वर्षा ऋतु में होता है। वर्षा के कारण कई रास्तों में कीचड़ हो जाते हैं जिससे आने जाने में परेशानी होती है इस समय बच्चे गेड़ी पर चढ़कर एक स्थान से दूसरे स्थान आते जाते हैं। बारिश में गांवों, खेतों में सांप-बिच्छु का भी डर होता है। गेड़ी में चढ़ने के कारण वे इससे भी बचे रहते हैं। उन्हें कीचड़ का भय नहीं रहता वह गेड़ी के सहारे उसकी जद को पार कर लेते हैं। देखा जाए तो गेड़ी का संबंध है कीचड़ से ही है। कीचड़ में चढ़ने पर ही गेड़ी का आनंद आता है।
 
 
क्या है गेड़ी: छत्तीसगढ़ में हरेली त्योहार में बच्चे गेड़ी चढ़ते हैं। इसे खिलाड़ी के ऊंचाई के बराबर दो डंडेनुमा लकड़ी से बनाया जाता है। गेड़ी के निचले हिस्से में पैर रखने के लिए रस्सी से लकड़ी के टुकड़े को बांधा जाता है। इसके बाद बच्चे उत्साहपूर्वक गेड़ी चढ़ते हैं। बच्चे बिना चप्पल के गेड़ी पर चढ़ते हैं और डांस करते हैं । कई जगह गेड़ी दौड़ का आयोजन किया जाता है. बस्तर के आदिवासी गेड़ी नृत्य भी करते हैं। वहीं कुछ लोग बहुत बड़ी-बड़ी गेड़ी बनाते हैं।
 
 
बोरे बासी के बाद अब गेड़ी नृत्य का आयोजन: 1 मई मजदूर दिवस के दिन छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल ने मजदूरों के सम्मान में बोरे बासी खाने की अपील की थी। इसका काफी अच्छा माहौल राज्य में देखा गया था। सोशल मीडिया में बोरे बासी दिवस के रूप में लोग फोटो पोस्ट कर रहे थे। साथ ही सीएम बघेल ने खुद मजदूरों के साथ बोरे बासी खाया था। अब इसी तरह अब गेड़ी नृत्य और प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इससे छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा को एक फिर नई ऊर्जा मिलेगी।
 
 

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