छत्तीसगढ़ में एक ऐसा भी गांव है जहां पिछले 100 साल से नही हुआ होलिका दहन, जिनके द्वारा भी होलिका दहन का किया गया प्रयास, हो गए अनहोनी का शिकार, जानिए पीछे का रहस्य..!

 


रायपुर छत्तीसगढ़ : देश भर में गुरुवार के दिन होलिका दहन होगा और उसके गले दिन यानी शुक्रवार को रंगो का त्यौहार खेला जाएगा। वहीं होली के दिन छत्‍तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर जिले के लालपुर क्षेत्र में लोग एक अनजान खौफ को मन में पाले घरों के भीतर दुबके रहेंगे। रायपुर जिले के लालपुर इलाके में करीब 100 साल से भी ज्यादा वक़्त से होलिका दहन नहीं किया गया है। लालपुर में यह मान्यता है कि अगर होलिका दहन किया गया ,तो गंभीर महामारी का प्रकोप सहना पड़ सकता है।


यह भी पढ़ें : द कश्मीर फाइल्स देखने के लिए सीएम भूपेश बघेल ने सभी विधायकों को किया आमंत्रित..!

लालपुर के ग्रामीणों के मुताबिक बरसों पहले इस बार गांव की मान्यता के खिलाफ जाकर होलिका का दहन करने का प्रयास भी किया गया था, तब उस समय गांव में आगजनी हो गई थी। आग के चपेट में आकर किसानों के खेेत तथा मवेशी भी स्वाहा हो गए थे। गांव में जब भी किसी के द्वारा होलिका दहन करने का प्रयास किया गया ,तो उसके घर कोई ना कोई अनहोनी जरूर हो गई, जिसके कारण इस क्षेत्र में होलिका दहन को वर्जित माना जाता है।


यह भी पढ़ें : इस बार होली में मुखौटा एवं स्प्रे रखेगी बैन, मोटर गाड़ी में 3 सवारी मिले तो बाइक जब्त।


लालपुर के लोगों के मुताबिक उनके गांव को कुंवारीगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। सदियों पहले घूमने फिरने वाली बंजारा जाति के लोगों के द्वारा अपने प्रवास के दौरान यहां बिझवारिन देवी की मंदिर स्थापित किया गया था। जिनकी लोगों द्वारा कुंवारी देवी मानकर पूजा किया करते हैं। गांव के लोग यह भी मानते हैं कि कुंवारी देवी उनके गांव की रक्षा भी करती हैं। होलिका दहन के दिन लालपुर के लोग अपनी रक्षक देवी की पूजा करके रंग तथा गुलाल यह त्यौहार मनाते है और होली खेलते हैं। लालपुर की महिलाओं का यह भी कहना है कि गांव में जब भी शादी,जन्मोत्सव या फिर कोई अन्य उत्सव होता है, तो लोग सबसे पहले कुंवारी माता का आशीर्वाद लेने मंदिर जरूर जाया करते हैं।


यह जरूर पढ़ें : Holi Festival 2022, जानिए किन लोगों को भूलकर नही देखनी चाहिए होलिका दहन, आखिर क्या है इसका कारण और उपाय, शुभ मुहूर्त एवं पूरी जानकारी जरूर पढ़े..!


गांव के बुजुर्ग यह भी बताते है कि उनके गांव के लोग होली में रंग तो जरूर खेलते हैं , लेकिन होलिका का दहन नहीं करते। माना यह भी जाता है कि होलिका दहन करने से कुंवारी देवी नाराज हो जाती है तथा गांव में अनहोनी घटती होती है, इसलिए इस गांव में लोग होलिका का दहन नहीं करते।


यह भी पढ़ें : सेक्सटॉर्शन गैंग के चंगुल में फसकर दीपक देवांगन ने की थी आत्महत्या, गैंग का मुख्य आरोपी हुआ गिरफ्तार, जानिए क्या होता है सेक्सटॉर्शन..!



यह भी बताते हैं की दीपावली में होनी वाली गौरी-गौरा की पूजा भी कुंवारी माता के मंदिर की परिक्रमा के साथ ही शुरू होती है। इस दौरान गांव के बुजुर्गों के द्वारा नई पीढ़ी को यह समझाया जाता हैं कि जब होली का त्यौहार आये, तो भूलकर भी होलिका दहन नही करें तथा यह जानकारी अगली पीढ़ी तक ले जाया जाता है।


यह भी पढ़े : ऐसी क्या चीज है जिसे पहली बार करने से लड़कियां डरती है और जोर से चिल्लाती है, जवाब जान कर चौक जायेंगे, PSC में पूछा गया सवाल..!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *