छत्तीसगढ़ में रोजगार बना सियासी मुद्दा : सरकार के दावे पर रमन सिंह ने चुनौती दी तो मंत्रियों ने गिनाई नौकरी : मुख्यमत्री भूपेश बघेल ने कहा था 5 लाख रोजगार दिए


Chhattisgarh News: नगरीय निकाय चुनाव के पहले धर्मांतरण व साम्प्रदायिकता के मुद्दों से गर्मा रही छत्तीसगढ़ की सियासत बुनियादी मुद्दों की तरफ लौट रही सियासत है। अब रोजगार यहां सियासी मुद्दा बनता दिख रहा है। इसका प्रारम्भ जनवरी के पहले हफ्ते में आए सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट से हुई है।


अगले सप्ताह की लोकवाणी में मुख्यमंत्री ने 4 लाख 65 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी अर्द्ध सरकारी कार्यालयों में काम देने की बात कही थी। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इन आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए चुनौती दी। अब सरकार के दो मंत्रियों व एक संसदीय सचिव ने रोजगार का आंकड़ा गिनाते हुए रमन सिंह व उनकी पूर्ववर्ती सरकार को घेरा है।


कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के ताजा आंकड़े हाल ही में जारी हुए हैं। उसके अनुसार छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर 2.1% है। जबकि इसी दौरान देश की बेरोजगारों की दर 7.9% है। जब यहां भाजपा सरकार का आखिरी साल चल रहा था तब बेरोजगारी दर 22.2% थी।

इसमें भी खास बात यह है कि पिछली तिमाही में जब छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर 3.8 % थी तब भारत की बेरोजगारी दर 7.6% रही, और अभी जब हमारी बेरोजगारी दर कम होकर 2.1% आई है तब भारत की बेरोजगारी दर बढ़ कर 7.9% पहुंच गई है। रविंद्र चौबे ने कहा, इन सब आंकड़ों को लेकर कल भाजपा के लोग बड़ी हास्यास्पद बातें कर रहे थे। हम उनसे सिर्फ दो सवाल करना चाहते है पहला यह कि क्या वे CMIE के आंकड़ों को झूठा कहना चाहते हैं। अगर CMIE के आंकड़े सही है तो छत्तीसगढ़ में रोजगार के आंकड़े कैसे गलत हो सकते हैं।


बताया- इन क्षेत्रों में मिला है रोजगार: मंत्री रविंद्र चौबे और डॉ. शिव कुमार डहरिया ने कहा, नौकरियां भी सिर्फ राजधानी या बड़े शहरों में ही नहीं दी गई बल्कि विकास खण्डों और पंचायत स्तर तक पहुंची हैं। पहली बार स्कूलों के लिए 14 हजार 580 शिक्षकों की वेकेन्सी निकाली और भर्ती की प्रक्रिया पूरी की। अब कुछ कारणों से कुछ लोगों ने ज्वाइन नहीं किया होगा तो इसका यह मतलब नहीं कि इस पूरी प्रक्रिया को ही खारिज कर देंगे। कॉलेजों में नियमित प्राध्यापक, खेल शिक्षक, ग्रंथपाल आदि की भर्ती भी राज्य गठन के बाद पहली बार की गई।


शिक्षा, बिजली, स्वास्थ्य, पुलिस, राजस्व, सिंचाई, खाद्य सहित हर विभाग में जितने हो सकते थे उतने पद निकाले और जिस तरह से संभव हुआ उस तरह से भर्ती की। अनुकम्पा नियुक्ति के लिए तो हमने नियमों को भी शिथिल किया और 3300 लोगों को स्थाई नौकरी देने का इंतजाम किया। प्रदेश में उद्योगों में 32 हजार लोगों को रोजगार मिला है। और 90 हजार नौकरियों की संभावना बनी है।


कहा – इन क्षेत्रों में अभी मिलना है रोजगार: मंत्रियों ने कहा, अभी चार रोज पहले ही मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग में 400 सब इंजीनियरों की भर्ती की घोषणा की है। पांच नये जिले बनाएं हैं। जिसमें से अभी तो एक अस्तित्व में आया है। चार जिले, चार अनुभाग, 72 तहसीलें बन रही हैं। इसमें भी बहुत बड़े पैमाने पर भर्ती होना बाकी है। 171 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खुले हैं। हिन्दी वाला भी खुलेगा। इन सब में भी बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती, आज नहीं तो कल होनी ही है।


आदिवासी अंचलों में कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड का गठन किया गया है और इसके माध्यम से भी भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मंत्रियों ने कृषि, उद्यानिकी, लघु वनोपज, गोठान आधारित काम, स्व-सहायता समूह, धान खरीदी, मनरेगा, रियल एस्टेट, कारोबार आदि सेक्टर में भी रोजगार के अवसर जोड़े।


भाजपा पर भी उठाए सवाल, किया हमला: संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने भाजपा पर ही सवाल उठाए। उन्होंने कहा, डॉ. रमन सिंह और भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के 15 वर्षों में रोजगार के सारे अवसरों को रोककर रखा था। जिसे मौजूदा सरकार ने पूरी तरह से खोल दिया है। इसी का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरियों का बूम आया है।


मंत्रियों ने कहा, भाजपा के नेता किस मुंह से बेरोजगारी का सवाल उठा रहे हैं। 15 साल छत्तीसगढ़ में राज करते समय आपको कभी नहीं सूझा कि युवाओं को सरकारी नौकरी, बेहतर आमदनी, किसानों को स्वावलंबन और महिलाओं को स्वाभिमान कैसे दिया जाता है। तब तो आप पंचायत के पैसे से मोबाइल टावर लगा रहे थे और DMF के पैसे से स्वीमिंग पूल बनवा रहे थे। वहीं केंद्र की सत्ता में बैठी भाजपा सरकार सरकारी संस्थानों को बेच रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *