रायपुर (नईदुनिया राज्य ब्यूरो)। नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के 36 हजार करोड़ के घोटाले के बाद प्रदेश में सबसे बड़ा 125 हजार करोड़ का कोयला घोटाला हुआ था , भाजपा सरकार पर घोटाले का यह आरोप प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने लगाया था। इनका आरोप था कि ढाई हजार मिलियन टन क्षमता वाले छह कोल ब्लॉक को नीलाम न करके तीन भाजपा शासित राज्यों की सार्वजनिक क्षेत्र वाली कंपनियों को आवंटित कर दिया गया।
कोल ब्लॉक्स कागजों में तो सार्वजनिक क्षेत्र वाली कंपनियों के हैं, लेकिन उनकी असली संपत्ति एक निजी कंपनी अडानी को माइन डेवलप एंड ऑपरेट (एमडीओ) नियुक्त करके सौंप दी गई थी। बघेल का आरोप था कि मुख्यमंत्री ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए यह सौदा किया था । प्रदेश के हित में उन्हें उसी समय इस्तीफा दे देना चाहिए था।
मंगलवार (28/03/2018) को पीसीसी अध्यक्ष ने पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश में कुल 88 मिलियन टन सालाना कोयला निकालने का काम अडानी को मिल चुका है या फिर, उसे देने की तैयारी अंतिम चरण पर है। अडानी समूह का एक दशक में कोयला उत्पादन 150 मिलियन टन पहुंच जाएगा। यह समूह एसईसीएल (साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड) से बड़ा कोयला उत्पादक बन जाएगा।
बघेल ने बताया था कि अभी छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी लिमिटेड (सीजीएसपीसीएल) को गारे पेलमा-3 कोल ब्लॉक आवंटित हुआ है। इसे चलाने और कोयला निकालकर बेचने का ठेका अडानी कंपनी को दिया गया है। एमडीओ नियुक्ति का आधार व शर्त क्या थी और कोल माइनिंग सर्विस एग्रीमेंट (सीएमएसए) क्या था, सरकार यह सार्वजनिक नहीं कर रही, क्योंकि सीजीएसपीसीएल को अपने कोल ब्लॉक का ही कोयला अडानी से महंगी दर पर खरीदना पड़ रहा है। बुधवार को बघेल कोल ब्लॉक क्षेत्र के गांवों का दौरा करने जाएंगे।
तीन तरफ से हो रहा था नुकसान
– आवंटन किया तो नीलामी से जो राशि मिल सकती थी, वह नहीं मिली।
– – प्रति टन कोयले पर फिक्स चार्ज 500 स्र्पये की जगह 100 स्र्पया ही मिल रहा।
– कोल वॉशिंग व ट्रांसपोर्टिंग का चार्ज एसईसीएल से ज्यादा अडानी वसूल रहा।
प्रोजेक्ट शुरू नहीं तो उत्खनन क्यों?
बघेल ने बताया कि पतुरिया गिधमुड़ी कोल ब्लॉक भैयाथान पॉवर प्रोजेक्ट को राज्य सरकार को इंडिया बुल्स के साथ मिलकर करना था। इंडिया बुल्स वापस चली गई। पॉवर प्लांट नहीं लगा, उसके बावजूद कोयला निकालने की तैयारी चल रही है। बघेल ने बताया कि यह कोल ब्लॉक हसदेव नदी के कैचमेंट एरिया में आता है। कोल ब्लॉक शुरू हुआ तो हसदेव नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
छह कोल ब्लॉक का आवंटन
कोल ब्लॉक-सालाना क्षमता-आवंटित-एमडीओ
परसा इस्ट, केतेवासन-10 मिलियन टन-राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन लिमिटेड-अडानी
परसा कोल ब्लॉक-05 मिलियन टन-राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन लिमिटेड-अडानी
केते एक्सटेंशन-16 मिलियन टन-राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन लिमिटेड-अडानी
गोर पेलमा 1-25 मिलियन टन-गुजरात मिनरल डिव्हेलपमेंट कॉर्पोरेशन-अडानी
गारे पेलमा 2-22 मिलियन टन-महाराष्ट्र पॉवर जेनेरेशन कंपनी-अडानी
गारे पेलमा 3-05 मिलियन टन-छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जेनेरेशन कंपनी लिमिटेड-अडानी
भाजपा ने कोल आवंटन के लिए पारदर्शी नीति बनाई थी। कहीं, कोई भ्रष्टाचार की संभावना नहीं थी। यूपीए सरकार के समय कोल ब्लॉक आवंटन में इतना भ्रष्टाचार हुआ था कि सुप्रीम कोर्ट को दखल देनी पड़ी थी। उसके मंत्री जेल भेजे गए थे। कांग्रेस का आरोप राजनैतिक है, जिसका सत्यता से वास्ता नहीं है।
कोल ब्लॉक्स कागजों में तो सार्वजनिक क्षेत्र वाली कंपनियों के हैं, लेकिन उनकी असली संपत्ति एक निजी कंपनी अडानी को माइन डेवलप एंड ऑपरेट (एमडीओ) नियुक्त करके सौंप दी गई थी। बघेल का आरोप था कि मुख्यमंत्री ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए यह सौदा किया था । प्रदेश के हित में उन्हें उसी समय इस्तीफा दे देना चाहिए था।
मंगलवार (28/03/2018) को पीसीसी अध्यक्ष ने पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश में कुल 88 मिलियन टन सालाना कोयला निकालने का काम अडानी को मिल चुका है या फिर, उसे देने की तैयारी अंतिम चरण पर है। अडानी समूह का एक दशक में कोयला उत्पादन 150 मिलियन टन पहुंच जाएगा। यह समूह एसईसीएल (साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड) से बड़ा कोयला उत्पादक बन जाएगा।
बघेल ने बताया था कि अभी छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी लिमिटेड (सीजीएसपीसीएल) को गारे पेलमा-3 कोल ब्लॉक आवंटित हुआ है। इसे चलाने और कोयला निकालकर बेचने का ठेका अडानी कंपनी को दिया गया है। एमडीओ नियुक्ति का आधार व शर्त क्या थी और कोल माइनिंग सर्विस एग्रीमेंट (सीएमएसए) क्या था, सरकार यह सार्वजनिक नहीं कर रही, क्योंकि सीजीएसपीसीएल को अपने कोल ब्लॉक का ही कोयला अडानी से महंगी दर पर खरीदना पड़ रहा है। बुधवार को बघेल कोल ब्लॉक क्षेत्र के गांवों का दौरा करने जाएंगे।
तीन तरफ से हो रहा था नुकसान
– आवंटन किया तो नीलामी से जो राशि मिल सकती थी, वह नहीं मिली।
– – प्रति टन कोयले पर फिक्स चार्ज 500 स्र्पये की जगह 100 स्र्पया ही मिल रहा।
– कोल वॉशिंग व ट्रांसपोर्टिंग का चार्ज एसईसीएल से ज्यादा अडानी वसूल रहा।
प्रोजेक्ट शुरू नहीं तो उत्खनन क्यों?
बघेल ने बताया कि पतुरिया गिधमुड़ी कोल ब्लॉक भैयाथान पॉवर प्रोजेक्ट को राज्य सरकार को इंडिया बुल्स के साथ मिलकर करना था। इंडिया बुल्स वापस चली गई। पॉवर प्लांट नहीं लगा, उसके बावजूद कोयला निकालने की तैयारी चल रही है। बघेल ने बताया कि यह कोल ब्लॉक हसदेव नदी के कैचमेंट एरिया में आता है। कोल ब्लॉक शुरू हुआ तो हसदेव नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
छह कोल ब्लॉक का आवंटन
कोल ब्लॉक-सालाना क्षमता-आवंटित-एमडीओ
परसा इस्ट, केतेवासन-10 मिलियन टन-राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन लिमिटेड-अडानी
परसा कोल ब्लॉक-05 मिलियन टन-राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन लिमिटेड-अडानी
केते एक्सटेंशन-16 मिलियन टन-राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन लिमिटेड-अडानी
गोर पेलमा 1-25 मिलियन टन-गुजरात मिनरल डिव्हेलपमेंट कॉर्पोरेशन-अडानी
गारे पेलमा 2-22 मिलियन टन-महाराष्ट्र पॉवर जेनेरेशन कंपनी-अडानी
गारे पेलमा 3-05 मिलियन टन-छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जेनेरेशन कंपनी लिमिटेड-अडानी
भाजपा ने कोल आवंटन के लिए पारदर्शी नीति बनाई थी। कहीं, कोई भ्रष्टाचार की संभावना नहीं थी। यूपीए सरकार के समय कोल ब्लॉक आवंटन में इतना भ्रष्टाचार हुआ था कि सुप्रीम कोर्ट को दखल देनी पड़ी थी। उसके मंत्री जेल भेजे गए थे। कांग्रेस का आरोप राजनैतिक है, जिसका सत्यता से वास्ता नहीं है।
source-jagaran