छत्तीसगढ़ में 20 लाख लोग हुए चिटफंड फ्रॉड कंपनी का शिकार : बिलासपुर में 1.5 तो रायपुर में 2.4 लाख लोगो ने दर्ज कराई शिकायत,7.86 करोड़ रुपए वापस भी किए गए

अब तक तीन जिलों के ही लगभग 17322 पीड़ितों को ही 7.86 करोड़ रुपए मिले वापस


20 lakh logo ke paise dube:छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 20 लाख लोगों के पैसे चिटफंड कंपनियों में डूब चुके है। राज्य सरकार ने लगभग अभी लोगो की शिकायत दर्ज कर लिया है। बीते शुक्रवार अर्थात 20 अगस्त को शासन के पास आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि थी। अकेले रायपुर से ही लगभग 2.40 लाख लोगो ने आवेदन जमा कराया है,आप खुद सोच सकते है कि यह आंकड़ा कितना बड़ा है। जिला प्रशासन एवम् पुलिस के पास आए रिकार्ड के अनुसार अकेले छत्तीसगढ़ प्रदेश के सभी जिलों में लगभग 100 से भी अधिक छोटी एवम् बड़ी कंपनियों में यहां के लोगों द्वारा लगभग 2000 करोड़ रुपए निवेश किए है। जिसके अंदर 5 हजार से लेकर 50-50 लाख रुपए तक के निवेश करने वाले लोग सम्मिलित हैं।


प्रशासन की कार्यवाही: रायपुर जिले के साथ ही लगभग एक दर्जन जिलों में अब तक लगभग 28 कंपनियों के लगभग 60 करोड़ की कुल संपत्ति की ही जप्त (कुर्क ) की जा चुकी है। एवम् उसके आगे की प्रक्रिया में कानूनी पेंच आने के कारण रुकावट आ गई है। छत्तीसगढ़ प्रशासन द्वारा जितने भी कंपनियों की संपत्ति की (जप्त) कुर्क करने के लिए आदेश जारी किए गए थे, वे सभी कंपनियां अपने बचावके लिए कोर्ट में चली गईं। जिसके कारण कोर्ट द्वारा नीलामी की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गईं है।

स्पष्ट है कि केस के चलने तक एवम फैसला जब तक न हो जाए तब तक लोगों के पैसे को लेकर भागने वाली फ्राड कंपनियो की संपत्ति को कुर्क नहीं किया जा सकेगा।यही कारण है की पीड़ितों को मिलने वाली तमाम राहत अब अटक सी गई है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा फिलहाल सभी जिलों के कलेक्टरों को केवल पीड़ितों के आवेदन सुनने एवम लेने के निर्देश दिए हैं, ताकि लोगो में कोई अफरातफरी का माहौल न आए।


प्रशासन का उद्देश्य: साथ ही इससे यह भी पता चलेगा कि कितनी कंपनियों के द्वारा कितनी रुपयों की रकम की ठगी किया गया है? साथ ही कंपनियों के नाम एवम् उनका पता भी लगाना जरूरी है कि उनके द्वारा कितने लोगो के कितने पैसे ठगे हैं।साथ ही ऐसी कंपनियों की पहचान होते ही उनकी प्रापर्टी का पता लगा कर उनकी प्रापर्टी बेचकर पीड़ितों को उनके डूबे पैसे दिलाने का पूरा प्रयास सरकार द्वारा किया जायेगा

अब तक की कार्यवाही: पिछले 15 सालों में अब तक लगभग 9 करोड़ की संपत्ति बेची जा चुकी है। साथ चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कई तरह के नए कानून बनाए का चुके हैं परन्तु इससे पीड़ितों को अब तक कोई बड़ा लाभ नहीं हो पाया। कई कंपनी के डायरेक्टर अपना कामकाज छोड़कर यह से जा चुके हैं।अब तक दो साल में राजनांदगांव एवम् धमतरी में केवल चार चिटफंड कंपनियों की ही संपत्ति की नीलामी हो पाई है। जिसमे कुल 9 करोड़ रुपए इकट्ठा हो पाया, जिसको पीड़ितों को उनके किए गए निवेश के अनुपात में वापस किया गाय। धमतरी में चिटफंड कंपनी “सुविधा फार्मिंग” की इसी हफ्ते 1.28 करोड़ रुपए की जमीन कुर्क करने के बाद नीलामी किया गया है। जिसकी रकम को वहां निवेश करने वाले लोगों को उनके किए गए निवेश के अनुसार ही बांटे जाएंगे।

कम्पनियों के एजेंटो को भी नही मिल पाई अब तक राहत:चिटफंड फ्राड कम्पनियों के द्वारा जब लोगों के पैसे लेकर भागा गया तब सभी पीड़ित थाने पहुंचने लगे। तब कंपनी से स्थानीय संबंध के रूप में केवल एजेंट ही रह गए थे। कंपनी के डायरेक्टर सहित तमाम बड़े बड़े अधिकारी फरार हो गए, तब पुलिस द्वारा एजेंटों के खिलाफ ही केस दर्ज कराया गाय। जिसमे कंपनी के कई एजेंटों को जेल के अंदर कर दिया गया। जिसको लेकर काफ़ी विरोध हुआ , क्योंकि एजेंटो में ज्यादातर कंपनी के निवेशक ही थे। जिनके द्वारा खुद कंपनी में लाखों रुपए लगाए गए थे। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही एजेंटों के खिलाफ दर्ज हुए केस वापस  लिया जाने लगा।

केवल 60  फ्रॉड कंपनी के डायरेक्टर ही गिरफ्त में: पुलिस द्वारा पिछले 15 साल में अब तक लगभग 60 कंपनियों के ही डायरेक्टरों को  गिरफ्तार किया जा सका है। जिनकी सारी संपत्ति कुर्क की जा चुकी है, किंतु लगभग सभी के मामले कोर्ट में ही होने की वजह से अभी तक लोगों की तमाम रकम वापस नहीं किया जा सका है, कंपनियों के वकील एवम प्रतिनिधि ही उनके केस कोर्ट में अब तक लड़ रहे हैं।



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