घाटारानी स्थित जैतमई माता मंदिर (Jaitmai Temple Ghatarani) : हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं। जो की पहले से ही विश्वप्रसिद्ध है, हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के विश्वप्रसिद्ध दर्शनीय स्थल और जलप्रपात घटारानी व जतमई की। छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर से लगभग 80 किलोमीटर पर राजिम मार्ग में स्थित है जतमई घटारानी का यह मनमोहक मन्दिर।
मान्यता –
छत्तीसगढ़ का ऐसा मंदिर जहां माता के चरण छूने मंदिर तक पहुंचती है जलधारा, एेसा माना जाता है कि झरने के रूप में गिर रही यह जल धाराएं माता की सेविका हैं जो हमेशा माता के मंदिर के आसपास ही रहती हैं। प्राकृतिक रूप से यह स्थल काफी मनमोहक है।छत्तीसगढ़ में जतमई और घटरानी एेसे मंदिर हैं जहां जलधाराएं हर साल माता के चरण छूने मंदिर के अंदर तक पहुंचती हैं। एेसा माना जाता है कि झरने के रूप में गिर रही यह जल धाराएं माता की सेविका हैं जो हमेशा माता के मंदिर के आसपास ही रहती हैं।
स्वरूप –
प्राकृतिक रूप से यह स्थल काफी मनमोहक है। चारों ओर फैली हरियाली और उंचे पहाड़ों के बीच से मन्दिर को छूती गिरते झरने यहां आने वालों का मन मोह लेती है, वैसे तो यहां माता जैतमई व माता घटारानी का वास है इस कारण यह स्थल काफी धार्मिक मान्यता रखता है पर साथ साथ बहते झरनों के कारण यह स्थल पर्यटन की दृष्टि से भी समृद्ध है।
जतमई पहाड़ी –
जतमई पहाड़ी को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के बाद यह स्थल पर्यटन के नक्शेे पर आया जिसके बाद यहां पर लोग इस मनमोहक प्राकृतिक स्थल को जान व देख रहे हैं। पटेवा के निकट स्थित जतमई पहाड़ी एक 200 मीटर क्षेत्र में फैला पहाड़ है, जिसकी उंचाई करीब 75 मीटर है। यहां शिखर पर विशालकाय पत्थर आपस में जुड़े हुए हैं। जिसे देखकर लगता है इन्हें यहां किसी ने रखा हुआ है।
जैतमई घाटारानी कब जाये (Best Time To Visit Jatmai Ghatarani)-
सभी मौसम है उपयुक्त, जतमई घटारानी की सैर करने के लिए सभी मौसम अनुकूल है। बारिश के मौसम में आसपास का जंगल में हरियाली और ज्यादा बढ़ जाती है। और गर्मियों में हरियाली पेड़ की छाव और पानी आपका मन मोह लेगी। झरने का पानी और भी ज्यादा मनमोहक लगता है। इस झरने पर आकर पर्यटक नहाने का भी भरपूर मजा ले सकते हैं। घटारानी प्रपात तक पहुंचने के लिए घने जंगल के बीच बनी सकरी सड़क है। जिसमें बताया जाता है कि जंगली जानवर भी हैं। जो कभी कभी यहां से गुजरने वाले पर्यटकों के वाहन के सामने आ जाते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए इन जगहों पर जाने का सबसे अच्छा समय अगस्त से फरवरी तक है।