तीजन बाई जीवन कहानी, गाथा : Biography Of Tijan Bai || Pandavi Lokgayika Tijanbai

तिजनबाई की जीवनगाथा : आज हम बात करने जा रहे है दुनिया कि सबसे चर्चित कथा महाभारत को एक अलग अंदाज में लोगो तक पहोचने वाली पहली महिला कलाकार तीजनबाई के बारे में इनके कथा सुनाने का अंदाज वाकई में काबिले तारीफ है  स्टेज में खड़े होके तो कभी घुटनों के बल हाथो में तम्बूरे पकडे महाभारत की कथा को गाने के माध्यम से लोगो ताक पहोचाते है  जिसे पंडवानी गीत कहा जाता है | इसी कारण तीजनबाई  छत्तीसगढ़ में ही नही बल्कि पूरी दुनिया में चर्चित है |

 

तीजनबाई का जन्म 8 अगस्त सन् 1956 को दुर्ग जिले के अटारी गाव में एक मध्य वर्गी परिवार में हुआ था। मगर इनकी माता श्रीमती सुखबती व पिता श्री छुनुक लाल पारधी जी ने इनका पालन पोसन ग्राम गनियारी में किया। वैसे इनको पण्डवानी गायन का शौक बचपन से था। तीजनबाई  कहती है की  जब वे अपने गुरु झाडूराम देवांगन को गाते  देखतीं, तो सोचा करती  कि वह भी एक दिन ऐसी पण्डवानी गायिका बनेंगी।

 

वैसे एक छोटे से गाव में उस समय इन सब बातो मेंलडकियों को रोकने वाले तो बहोत होते  थे और इनके घर में इसका काफी विरोध हुआ फिर भी घरवालों का विरोध सहकर तीजनबाई  ने पण्डवानी गायन को अपना क्षेत्र चुना। फिर इन्होने अपने गायन की नियमित शिक्षा श्री उमैद सिंह देशमुख से ली। इन्होने अपना पहला कार्यक्रम 13 वर्ष की उम्र में ग्राम-चन्दखुरी (दुर्ग) में किया । इसके बाद इन्हें आदिवासी लोककला परिषद भोपाल के द्वारा भारत भवन भोपाल में कार्यक्रम देने का अवसर मिला जहा से उनकी काबिलियत लोगो तक पहोचने लगी

 

फिर आपने गायन समूह के हारमोनियम वादक तुलसीराम देशमुख से सादी  की और फ़िलहाल  इनके  3 बेटे भी है। इन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा सन् 1985 में पेरिस के भारत महोत्सव के दौरान कीतीजनबाई ने वैसे तो काफी उपलब्धि पा ली है लेकिन वे आज भी अपने जमींन से जुड़कर रहते है बस यही कारण  है की ओ जहा भी जाते अपनी छत्तीसगढ़ की परम्परिक वेस्भुसा में नजर आते है।

 

वैसे छत्तीसगढ़ की लोककला को विशेषता वा पण्डवानी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने का श्रेय तीजनबाई को जाता है। इनकी सफलता की बात करे तो इन्हें काफी सरे पुरस्कार मिले जिनमे से प्रमुख  भारत सरकार से 1988 में पद्‌मश्रीसम्मान प्रदान मिला    3 अप्रैल 2003 को भारत के राष्ट्रपति डॉ॰ श्री अब्दुल कलाम द्वारा पद्‌म भूषण अवार्ड भी मिला।

 

तीजनबाई जी अब तक भारत के बड़े शहरों के साथ – साथ  फ्रांस, जर्मनी,बांग्लादेश, तुर्की, जैसे और भी कई देश घूम चुकी है । तथा फ़िलहाल वे भिलाई इस्पात सन्यन्त्र में सेवारत हैं। दोस्तों हम तीजनबाई के जज्बे को सलाम करते है उस समय लड़की होकर एक कलाकार के रूप में निखारना उनके लिए वाकई चौनाव्तियो से भरा होगा

 

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