Sarwamangala Mandir Korba : कोरबा मुख्यालय से 5 किलोमीटर व बिलासपुर से 70 किलोमीटर दूर कोरबा से पंतोरा व कटघोरा जाने वाले रास्ते पे हसदेव नदी व नहर के किनारे दुरपा गाँव में स्थित है माँ सर्वामंगला मंदिर जो कोरबा जिले के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है | मंदिर का इतिहास वैसे तो 122 साल पुराना है। जिसकी स्थापना सन् 1898 के आस पास मानी जाती है। लेकिन इस मंदिर को कोरेश के जमींदार में से एक राजेश्वर दयाल के पूर्वजों द्वारा बनवाया था।
यहाँ मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है, यहा मंदिर त्रिलोकिनाथ मंदिर, काली मंदिर और ज्योति कलाश भवन से घिरा हुआ है। यहा एक गुफा है, जो नदी के नीचे जाता है और दूसरी तरफ निकलता है। रानी धनराज कुंवर देवी को मंदिर में अपनी दैनिक यात्रा के लिए इस गुफा का इस्तेमाल किया करती थी।
मंदिर का भूगोल:
जब आप मंदिर आते है तो आपको आपको मंदिर के चारो ओर मंदिर परिसर में बहुत से मंदिर देखने की मिलते है, साथ ही यह बहुत से कबूतरों ने भी अपना घर बना रखा है| जब आप मंदिर के मुख्य दरवाजे से अन्दर जाते है| तो आपको 2 सिंह देखने को मिलते है जिसे मंदिर में माँ दुर्गा के वाहको के रूप में दिखाए गये है | मंदिर के अंदर माँ दुर्गा माँ सर्वमंगल के रूप में दिखाई देती है, साथ ही मंदिर के अंदर दीवारों में हमें माँ दुर्गा के नव रूप देखने को मिलते है मुख्य मंदिर से बाहर निकलते ही हमें कुछ और खुबसूरत मंदिर देखने की मिलते है| जिसमे त्रिलोकिनाथ मंदिर वतेस्वर हनुमान मंदिर काली मंदिर विष्णु मंदिर शनि मंदिर है साथ ही इन मंदिरों से कुछ दुरी पर एक गार्डन भी बनाया गया है
चैत्र नवरात्रि व रामनवमी नवरात्री:
यहाँ चैत्र नवरात्रि व रामनवमी के समय माता के दरबार में लाखो की संख्या में भक्त माता के दर्शन के लिए आते है भक्तो की मनोकामना पूरा हो जाने पर यहाँ ज्योतिकलश भी जलाया जाता है | यहाँ हजारो की संख्या में ज्योतिकलश जलाये जाते है मंदिर त्रिलोकिननाथ मंदिर, काली मंदिर और ज्योति कलाश भवन से घिरा हुआ है। एक गुफा भी है, जो नदी के नीचे जाता है और दूसरीतरफ निकलता है।
मंदिर के समीप स्थित वटवृक्ष:
मंदिर के पुजारी अनिलपाण्डेय की मानें तो यह वट वृक्ष लगभग 500 वर्ष पुराना है।इस वृक्ष की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे मानोकामना पूरा करने वाला वृक्ष माना जाता है।पूर्व में इस वृक्ष के नीचे हाथी भी आकर विश्राम किया करते थे। इसके बाद पिछले कुछ वर्षों तक विशाल वटवृक्ष के झूले जैसे तनों पर मयूर भी आकर विश्राम व क्रीडा करते थे यह मान्यता पिछले कई वर्षों से चली आ रही है।
सर्वमंगला मंदिर कैसे पहुंचे:
सड़क मार्ग – माता सर्वमंगला मंदिर तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क आपको आसानी से मिल जायेगी जिससे आप अपने वाहनों के माध्यम से पहुंच सकते हैं। यह जांजगीर चांपा से 50 किलोमीटर व बिलासपुर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग – माता सर्वमंगला मंदिर से सबसे निकतम रेलवे स्टेशन है, कोरबा रेलवे स्टेशन जिसकी दुरी लगभग 4 किलोमीटर है।
हवाई मार्ग – माता सर्वमंगला मंदिर से सबसे निकटतम हवाई अड्डा है बिलासपुर हवाई अड्डा जिसकी दूरी लगभग 90 किलोमीटर है।
हमारी राय:
यदि आपको भगवान के प्रति श्रद्धा है और आप मां दुर्गा के रूप को पूजते है तो आपको यह जगह काफी अच्छा लगेगा यहां मां दुर्गा के रूप में विराजी मां सर्वमंगला का रूप बेहद सुंदर है यहा आप मंदिर के अंदर अपने मन को शांत पाएंगे। मंदिर के आसपास का वातावरण भी काफी खूबसूरत है।
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