मां गंगा कि प्रतिमा : गंगा मैया मंदिर बलोद दुर्ग छतीसगढ़ : Ganga Mandir Balod

Ma Ganga
मां गंगा कि प्रतिमा

 

Ganga Maiya Mandir Balod Durg Chhattisgarh:  छत्तीसगढ़ की बालोद तहसील में बालोद-दुर्ग रोड के पास झलमला में स्थित है गंगा मैया मंदिर, जो ऐतिहासिक महत्व वाला धार्मिक मंदिर है। इस मंदिर का एक गौरवशाली आनंद और बहुत ही चमत्कारीक इतिहास है। बताया जाता है कि मूल रूप से, गंगा मैया मंदिर का निर्माण एक स्थानीय मछुआरे द्वारा एक छोटी सी झोपड़ी के रूप में किया गया था। प्रारंभ में, मंदिर एक छोटी सी झोपड़ी के रूप में बनाया गया था, यहां पर प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिये आते हैं। यहां पर माता के मंदिर में प्रतिवर्ष साल के दोनों नवरात्रों में ज्योति कलश स्थापना कराई जाती हैं।
 
गंगा मैया मंदिर बलोद दुर्ग की अनोखी कहानी : (Ganga maiya mandir durg ki anokhi Kahaani)

इस मंदिर के निर्माण कि कहानी बेहद ही रोचक है जो 100 साल पुराना बताया जाता है, इस मंदिर के निर्माण से संबंधित एक पुरानी कथा बड़ी चर्चित हैं जो इस मंदिर को अनोखी बनाती है। कहा जाता है कि झलमला के इस इलाके में पहले कम लोग रहते थे, जिसका प्रमुख कारण था इस ग गांव में आय का कोई साधन न होना व गांव में पानी की कमी होना। कहा जाता है कि यहां पर उस समय में 100 से 200 लोग ही रहा करते थे। पुराने समय में यह क्षेत्र पशु की खरीदी और बिक्री का प्रमुख केंद्र था। यहां पर सप्ताह में एक बार एक विशाल बाजार का आयोजन किया जाता था और उस बाजार में आस पास के लोग अपने अपने पशुओं को लेकर आते थे। पशुओं को लाने वाली ज्यादातर लोगों की संख्या बंजारों की थी। जब पशुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हुई तो पानी की अत्यधिक कमी को देखते हुए गांव के मुखिया द्वारा यहां पर एक तालाब बनवाने का फैसला लिया गया। निर्णय लेने के कुछ दिन बाद ही तलाब की खुदाई का कार्य शुरू कर दिया गया। खुदाई का कार्य कुछ दिन चला और तलाब बनकर तैयार हो गया। जिसके बाद बरसात के पानी में वह तलाब भर गया। 

 

मछवारे का जाल फसा: (machhuaarey ka jal fasa)

एक दिन कि बात है जब एक केवट उस तलाब में मछली पकड़ रहा था तो उसकी जाल एक पत्थर में जाकर बार बार फंस रही थी। उस केवट ने पत्थर को सामान्य पत्थर समझकर छोड़ दिया। उसी रात जब वह सो रहा था तब आधी रात को माता  केवट के सपने में आयी और अपने स्वयं के तालाब में होने की बात बताई। केवट ने सुबह सभी बाते अपने गांव के मुखिया को बताई। मुखिया को केवट के बातो पर विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन जैसे तैसे केवट ने मुखिया को अपने बातो पर भरोसा दिलाया और मुखिया को अपने साथ उस तालाब के किनारे ले गया। केवट ने वहां पहुंचते ही एक बार फिर अपनी मछली पकड़ने वाली जाल फेकी। जाल के नीचे जाते ही वह एकबार फिर फंस गया। जिसके पश्चात कुछ लोग तलाब में घुसे और फंसे हुए पत्थर को बाहर निकाला तो उन्होंने पाया कि वह एक माता की मूर्ति थी। 

Ganga Temple

मुर्ति को मंदिर मे स्थापित किया गया: (Murti ko mandir me sthapit Kiya gaya)

इसके पश्चात ही उस मूर्ति को एक मंदिर में स्थापित किया गया आज उसी मंदिर को गंगा मैया दुर्ग के नाम से जाना जाता है। मूल रूप से, गंगा मैया मंदिर का निर्माण एक छोटी सी झोपड़ी के रूप में किया गया था। यहां पर प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लेने आते हैं। यहां पर माता के मंदिर में प्रतिवर्ष साल के दोनों नवरात्रों में ज्योति कलश स्थापना कराई जाती हैं। कई भक्तों ने अच्छी मात्रा में धनराशि दान की जिससे इसे एक उचित मंदिर परिसर बनाने में मदद मिली। चूँकि यह बालोद–दुर्ग मार्ग पर स्थित है, इसलिए छत्तीसगढ़ के किसी भी जिले से मंदिर तक पहुँचना बिलकुल सुविधाजनक है।

 

घुमने का सर्वोत्तम समय:- वैसे तो आप यहा साल के बारह महिने कभी भी आ सकते है लेकिन अगर आप मां दुर्गा पे अधिक आस्था रखते है तो आपको नवरात्रि में यहा देवी दर्शन के लिये आना चाहिए, क्योकि नवरात्रि में आपको मंदिर में नये साज संजा देखने को मिलेगा। और मां दुर्गा पे आस्था रखने वाले भी मिलेंगे।

 

कुछ सवाल जो आपसे पूछे जा सकते है आइये हम इनके जवाब जाने :

 

1. सवाल: गंगा मैया मंदिर बालोद किस जिले में स्थित है?

जवाब: गंगा मैया मंदिर दुर्ग जिले में स्थित है।

 

2. सवाल: गंगा मैया मंदिर बालोद दुर्ग में मुख्य प्रतिमा कौनसी है ?

जवाब: गंगा मैया मंदिर में मुख्य प्रतिमा मां गंगा कि है जो मां दुर्गा का ही एक रूप है।

 

3. सवाल: गंगा मैया मंदिर बालोद दुर्ग से सबसे निकतम रेल्वे स्टेशन कौनसा है ?

जवाब: गंगा मैया मंदिर से सबसे निकतम रेल्वे स्टेशन दुर्ग रेल्वे स्टेशन है, जिसकी दुरी लगभग 50 किलोमीटर है |

 

गंगा मैया मंदिर बालोद दुर्ग कैसे पहुंचे :

सड़क मार्ग – गंगा मैया मंदिर बालोद दुर्ग तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क आपको आसानी से मिल जायेगी जिससे आप अपने वाहनों के माध्यम से पहुंच सकते हैं, यह मंदिर बालोद – दुर्ग रोड पर स्थित है, यह मार्ग राज्य के सभी शहरों से जुड़ा हुआ है।

 

रेल मार्ग – गंगा मैया मंदिर बालोद से सबसे निकतम रेलवे स्टेशन है, दुर्ग रेलवे स्टेशन जिसकी दुरी लगभग 50 किलोमीटर है |

 

हवाई मार्ग –  गंगा मैया मंदिर बालोद दुर्ग से सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, रायपुर हवाई अड्डा है जिसकी दूरी लगभग 100 किलोमीटर है।

 

हमारी राय :अगर आप मां दुर्गा मे आस्था रखते है तो यह जगह अपको एक अलग ही अवतार मे माता के दर्शन करायेगी जिसके दर्शन कर आप खुद को भाग्यशाली महसूस करेंगे। 

 

 

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