Rajim Mela 2023: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर गरियाबंद जिले में स्थित है राजिम, जहा राजीव लोचन मंदिर व कुलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है, यहा माँघी पूर्णिमा के दिन से महाशिवरात्रि तक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जहा भगवान के दर्शन हेतु और मेला घूमने लोग दूर दूर से आते है।
राजिम मेले का नामकरण: छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वर्ष 2001 से राजिम मेले को राजीव लोचन महोत्सव के रूप में मनाया जाता था, वर्ष 2005 से इसे कुम्भ के रूप में मनाया जाता रहा, और 2019 से राजिम माघी पुन्नी मेला के रूप में मनाया जा रहा है। यह आयोजन छत्तीसगढ़ शासन एवं स्थानीय आयोजन समिति के तत्वाधान में होता है।
राजिम की यात्रा न कर ले जगन्नाथ की यात्रा संपूर्ण नही: वैसे तो राजिम के इतिहास को लेकर काफी मान्यताएं है जिनमे से सबसे अनोखी मान्यता यह है की जब तक भक्तजन राजिम की यात्रा न कर ले तब तक जगन्नाथ पूरी की यात्रा संपूर्ण नही होगी।
आखिर क्यों कहते है राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग राज: राजिम महानदी के किनारे स्थित एक प्रसिद्ध स्थल है, जहा आपको तीन नदी सोढूल, पैरी, महानदी का संगम देखने को मिलता है, जिसके चलते इसे छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है। यहा और भी कई मंदिर है जिसका धार्मिक महत्व है।
राजिम में दो मुख्य मंदिर है: राजिम में लगने वाले मेले में लोग यहा मेला घूमने के साथ कुलेश्वर महादेव के दर्शन के लिए आते है। मान्यता यह है की वनवास के दौरान माता सीता ने यहा शिवलिंग की स्थापना की थी। फिलहाल जो मंदिर यहा है उसे 8 वी शताब्दी का बताया जाता है, यहा अनेकों बार बाढ़ आई मंदिर पानी के बहाव में पूरी तरह डूब गया, फिर भी मंदिर जस का तस खड़ा है। इसके अलावा यहा राजीवलोचन मंदिर काफी प्रसिद्ध है, जहा भगवान विष्णु स्थापित है, लोगो की मान्यता की बात करे तो इस मंदिर के दर्शन मात्र से चारो धाम के दर्शन का फल मिलता है
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