Raipur: छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में एक जैसे हालात हैं। यहां खेल विभाग को चलाने वाले अधिकारी खेल से जुड़े हुए नहीं हैं। इसका खामियाजा खिलाडि़यों को उठाना पड़ रहा। उनकी समस्याएं तक कोई सुनने को तैयार नहीं। यह बातें एक दिन के प्रवास में रायपुर पहुंचे भारतीय ओलंपिक संघ एवं एशियन कयाकिंग एंड कैनोइंग के कार्यकारिणी सदस्य बलवीर सिंह कुशवाहा ने मीडिया से चर्चा के दौरान कही।
वहीं उन्होंने रायपुर में बंद हो चुके साई अकादमी में कयाकिंग और कैनोइंग गेम को जल्द शुरू करने की मांग की। इसके लिए उन्होंने पत्र भी लिखा है।साई अकादमी में ट्रेनिंग ले रहे खिलाडि़यों से चर्चा भी। खिलाडि़यों ने खुद व्यक्त करते हुए कहा कि अब उनके पास गेम छोड़ने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
खिलाडि़यों में पदक जीतने की क्षमता: बलबीर सिंह कुशवाहा ने हाल के दिनों में कयाकिंग और कैनोइंग खेलों जैसे ओलंपिक खेलों में से एक के प्रति छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश सरकारों के दृष्टिकोण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि खिलाड़ी अपने लिए पदक जीतने की क्षमता रखते हैं। राज्य और राष्ट्र प्रशिक्षण केंद्रों को फिर से शुरू करने की राजनीतिक अनिच्छा के शिकार हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि भोपाल भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने दो महीने पहले सीनियर के हस्तक्षेप के बाद कयाकिंग और कैनोइंग का प्रशिक्षण फिर से शुरू कर दिया है।लेकिन छत्तीसगढ़ में कयाकिंग और कैनो जो केरल राष्ट्रीय खेलों में दो पदकों के अलावा राज्य के लिए हर साल पांच पदक जीत रहे हैं, साई कयाकिंग और कैनोइंग प्रशिक्षण केंद्र के बंद होने से वंचित है।
पदक दिलाने वाले खेलों की करें लिस्टिंग: कुशवाहा ने कयाकिंग-कैनोइंग, एथलेटिक्स सहित व्यक्तिगत खेलों में विभाग को ध्यान देना चाहिए।जबकि विभाग टीम गेम पर ध्यान दे रहा।किस खेल में हर साल कितने पदक आ रहे, ओलंपिक खेल कौन से उनको महत्व देने की जरूरत है। उन्होंने खेल के प्रति उदासीनता दिखाने के लिए छत्तीसगढ़ में खेल विभाग के शीर्ष अधिकारियों पर भी इसका आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि कयाकिंग-कैनोइंग में ओलिंपिक और एशियाई खेलों समेत 25 स्वर्ण पदक दांव पर लगे हैं और छत्तीसगढ़ सरकार को इस खेल को बढ़ावा देना चाहिए, राज्य सरकार केंद्रीय खेल मंत्री अनुरंग सिंह ठाकुर को साई रायपुर में प्रशिक्षण फिर से शुरू करने के लिए पत्र लिखे, ताकि खिलाड़ियों की क्षमता का उपयोग किया जा सके।
कुशवाहा ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में खेलों का विकास तब तक नहीं होगा जब तक कि सरकार के खेल विभाग में योग्य और योग्य खिलाड़ियों को उच्च स्तर पर सेवा करने का अवसर नहीं दिया जाता।