लखनी देवी मंदिर रतनपुर || Lakhni Devi Temple || Top Hill Station Of Ratanpur

Lakhni Devi Temple
लखनी देवी मंदिर रतनपुर

पहाड़ के सबसे ऊपरी चोटी पर बनी है हनुमान जी की विशाल प्रतिमा

 

मां लखनी देवी मन्दिर : वैसे तो रतनपुर नगर तालाबों का शहर है ही लेकिन इसके साथ ही यह मंदिरों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। यहां अनेक चमत्कारी एवं भव्य प्राचीन मंदिर स्थित है। रतनपुर महामाया मंदिर के नाम से न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध है, लेकिन महामाया मंदिर के अलावा भी ऐसे अनेक मंदिर यहां स्थित है, जिनमें से कई मंदिर काफी अद्भुत एवं वहां पहुंचना भी आसान नहीं हैं। इनमे से एक है मां लखनी देवी जी का मंदिर । यह मंदिर खास इसलिए भी हो जाता है क्योंकि यह एक विशाल पहाड़ के ऊपर बना हुआ है। साथ ही यह रतनपुर के पहाड़ों में सबसे अधिक ऊंची है।

पहाड़ी के शिखर पर हनुमान जी की विशाल प्रतिमा : पुरातन समय में यहां पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी लोगो को पहाड़ियों से होकर ऊपर चढ़ना पड़ता था। लेकिन वर्तमान में यहां पर सीढ़ियां बन गई है। जिससे यहां पहुंचना पहले के अपेक्षाकृत आसान हो गई है लेकिन इन लगभग 300 सीढ़ियों को चढ़ना भी आसान काम नही है। अब यहां चार पहिया वाहनों के लिए भी पहाड़ को काट कर मार्ग बनाया गया है साथ ही इस पहाड़ की सबसे ऊपरी चोटी पर हनुमान जी की काफी विशाल मूर्ति भी बनाई गई है जिसे 15 से 20 km. की दूरी से भी स्वच्छ वायु मार्ग से देखा जा सकता है। पहाड़ के इस चोटी पर पहुंच कर आप पूरे रतनपुर शहर को निहार सकते हैं।

 

लखनी देवी मंदिर का इतिहास : बिलासपुर जिले को कोरबा जिले से जोड़ने वाली मुख्य मार्ग पर ही स्थित रतनपुर नगर कभी कल्चुरी वंश के राजाओं की राजधानी हुआ करता था। एक जानकर बताते है कि आज से करीब एक हजार साल पहले रत्नदेव नामक राजा माणिपुर नामक गांव में शिकार हेतु आए हुए थे, एवं रात्रि में एक वटवृक्ष के नीचे विश्राम के दौरान आदिशक्ति माँ महामाया देवी की सभा से आश्चर्य चकित होकर अपनी राजधानी तुम्माणखोल से हटाकर यहाँ स्थानांतरित कर दिया। और सन् 1050 ई.वी. में उन्होंने रतनपुर प्रसिद्ध महामाया देवी मंदिर की स्थापना की। जिसमें महालक्ष्मी मैया एवं माँ महाकाली तथा मां सरस्वती की भव्य एवं कलात्मक प्रतिमाएं विराजमान है।

Lakhni Devi
Hanuman Ji Statue

इसके बाद ही सन् 1179 ई. में राजा रत्नदेव तृतीय द्वारा प्रधानमंत्री गंगाधर शास्त्री से महालक्ष्मी जी का ऐतिहासिक मंदिर बिलासपुर से कोटा मुख्य मार्ग पर स्थिति एक पहाड़ के ऊपरी शिखर पर कराया गया। इस मंदिर का आकार पुराणों में वर्णित पुष्पक विमान की तरह है, जो की एक विशाल पहाड़ पर स्थित है। फिलहाल अभी यहाँ पर सीढियों का निर्माण करा दी गई है। लगभग तीन सौ सीढ़ी की बड़ी चढ़ाई पर स्थित माँ लक्ष्मी को छत्तीसगढ़ राज्य में लखनीदेवी के नाम से जाता एवं पूजा जाता है। नवरात्रि में लखनी देवी मंदिर में मंगल ज्वार बोने के साथ ही धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं।


विशेष पूजा अर्चना : छत्तीसगढ़ राज्य में मार्गशीर्ष के महीने के हर गुरुवार को यहां देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही देवी मां के दर्शन के लिए भरी तादात में भक्त मंदिर को पहुंचते हैं। हर साल मार्गशीर्ष महीने में होने वाली पूजा अर्चना काफी आकर्षक एवं अदभुत रहता है। 

 
 
800 साल से भी पुरानी है यह मंदिर : जिस पर्वत पर लखनी देवी मंदिर स्थित है, उस पर्वत के भी अनेकों नाम है। इस पर्वत को लक्ष्मीधाम पर्वत, श्री पर्वत, वाराह पर्वत एवं इकबीरा पर्वत के नामों से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी वंश के राजा रत्नदेव तृतीय के शासनकाल में प्रधानमंत्री गंगाधर के नेतृत्व में सन 1179 ई. में कराया गया था। उस समय इस मंदिर में जिस देवी की प्रतिमा स्थापित की गई उन्हें स्तंभिनी देवी एवं इकबीरा के नाम से जाना जाता था।

मंदिर का आकर पुराणों में वर्णित पुष्पक विमान जैसा : प्राचीन मान्यता के अनुसार, रत्नदेव तृतीय के साल 1178 में राज्यारोहण करते ही रतनपुर की प्रजा अकाल एवं महामारी से परेशान होने लगी थी। राजकोष भी खाली हो चुकी थी। हालात को देखते हुए राजा के एक विद्वान मंत्री पंडित गंगाधर ने मां लक्ष्मी देवी मंदिर बनवाने की बात कही एवं उस उद्देश्य को पूरा भी किया गया। मंदिर के बनते ही अकाल एवं महामारी राज्य से खत्म ही हो गई एवं रतनपुर नगर फिर से सुख, समृद्धि एवं खुशहाली लौट आई। इस मंदिर की आकृति एवं आकर शास्त्रों में बताए गए पुष्पक विमान की तरह दिखाई पड़ती है साथ ही मंदिर के अंदर श्रीयंत्र भी बना हुआ है।



मां लखनी देवी की सौभाग्य लक्ष्मी स्वरूप : मां लखनी देवी जी का स्वरूप अष्ट लक्ष्मी देवियों में सौभाग्य लक्ष्मी जी का है। जो की अष्टदल कमल पर विराजमान है। सौभाग्य लक्ष्मी जी की हमेशा पूजा अर्चना से सौभाग्य रूपी फल की प्राप्ति होती है एवं मनोकामनाएं की भी पूर्ति होती है। मां लक्ष्मी जी के इस रूप की पूजा करने से अनुकूलताएं, एवं सुख समृद्धि आने लगती हैं।

 

लखनी देवी मंदिर कैसे पहुंचे : 

सड़क मार्ग द्वारा : लखनी देवी मंदिर जो की छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के अंतर्गत आता है रतनपुर नगर मे स्थित है यहां आने के लिए आप अपने किसी भी साधन  ट्रेन, बस अथवा मोटर गाड़ी दो पहिया चार पहिया किसी भी साधन से बड़ी आसानी से आ पहुंच सकते है। लखनी देवी मंदिर बिलासपुर शहर से करीब 25 km. की दुरी पर रतनपुर नगर में बिलासपुर से कोटा मुख्यमार्ग पर स्थित है। 

रेल मार्ग द्वारा :  निकटतम रेल्वे स्टेशन बिलासपुर लगभग 35 km. दूरी पर स्थित है।

हवाई मार्ग : निकटतम हवाई मार्ग बिलासपुर चकरभाठा है। जो की करीब 40 km. की दूरी पर स्थित है। रायपुर हवाई अड्डे से करीब 125 km. की दूरी पर स्थित है।

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