Chhattisgarh News: अस्पतालों में मरीजों की पहचान बन चुकी व्हीलचेयर पर छत्तीसगढ़ के विकलांगों ने क्रिकेट में ऐसी ताकत दिखाई है कि राष्ट्रीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम में यहां से दो खिलाड़ी शामिल कर लिए गए हैं। बेहद मुश्किल हालातों में बैट-बॉल थामे इन खिलाड़ियों ने हौसले से यह कर दिखाया है। ये लगातार अंतरराष्ट्रीय मैचों में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, लेकिन एक बड़ी विडंबना से भी गुजर रहे हैं।
इनकी प्रैक्टिस हॉस्पिटल की व्हीलचेयर से ही हो रही है, जो खेल के लिहाज से उपयुक्त नहीं है। खेल के लिए स्पोर्ट्स व्हीलचेयर मिलती हैं जिनका परफार्मेंस काफी बेहतर है लेकिन इसे यहां के खिलाड़ी खरीद नहीं पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ टीम के सुनील राव और पोषण ध्रुव भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम में शामिल हो चुके हैं।
दोनों अब तक बांग्लादेश व दुबई में पाकिस्तान के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। सुनील छत्तीसगढ़ व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कप्तान भी हैं। इनके नेतृत्व में अब तक खेले गए 2 नेशनल टूर्नामेंट में एक बार छत्तीसगढ़ टीम सेमीफाइनल तक पहुंची, जबकि एक बार रन-अप रही।
हॉस्पिटल वाली व्हीलचेयर में बैठकर बॉलिंग, बैटिंग और फील्डिंग करते हुए मैदान पर इनका जोश और जज्बा खासी प्रेरणा देता है। छत्तीसगढ़ की टीम 10-11 मई को दिल्ली में फर्स्ट नेशनल टी-10 में जीत दर्ज करने के बाद अब 27 मई से ग्वालियर में होने जा रही स्वर्गीय माधवराव सिंधिया टी-10 चैम्पियनशिप के लिए पसीना बहा रही है।
चैम्पियनशिप में दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की टीम हिस्सा ले रही हैं। भास्कर ने इस टीम से सेरीखेड़ी के उस मैदान पर मुलाकात की, जहां सारे खिलाड़ी सुबह 6 बजे से इकट्ठा थे। इनमें किसी का एक पैर नहीं, किसी के एक हाथ का पंजा ही नहीं। किसी के कमर के नीचे का हिस्सा काम ही नहीं करता।
मगर जैसे ही इन्होंने बैटिंग शुरू की, चौके-छक्कों की लाइन लग गई। फील्डिंग भी ऐसी कि झुककर बाल रोकते समय खिलाड़ी व्हीलचेयर से गिरा, फिर बॉल लेकर वापस बैठा और सीधे स्टंप के पास थ्रो…। इन खिलाड़ियों ने कहा- हर खिलाड़ी को स्पोर्ट्स व्हीलचेयर मिल जाए तो खेल में रफ्तार आ जाए।
स्पोर्ट्स व्हीलचेयर इसलिए जरूरी
•इसमें ब्रेक इनबिल्ड होता है। बॉलिंग-बैटिंग स्थिर रहने के लिए इसका उपयोग होता है।
•व्हीलचेयर ही इन खिलाड़ियों के लिए पैर जैसी हैं। ये इससे ही बॉल को रोकते हैं।
•इसकी सीट हॉस्पिटल व्हीलचेयर से नीचे होती है। इसका लाभ फील्डिंग में मिलता है।
•हॉस्पिटल व्हीलचेयर की तुलना में स्पोर्ट्स वाली हल्की रहती हैं, मूवमेंट ठीक होता है।
भाटापारा में कैंप 250 युवा जुटे थे: छत्तीसगढ़ व्हीलचेयर क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा राज्य में ‘ए’ और ‘बी’ टीम बनाने के लिए 23-24 मई को भाटापारा में कैंप लगा। यह पहला बड़ा कैंप था, जिसमें 15-15 खिलाड़ियों का चयन हुआ।
नियमों में भी बदलाव: डिसेबल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीसीआई) द्वारा इस साल क्रिकेट टीम गठन के नियमों में बड़े बदलाव किए हैं, ताकि हर श्रेणी के दिव्यांग खिलाड़ी को मौका मिल सके। 11 सदस्यीय टीम तभी क्वालीफाई मानी जाएगी जब दिव्यांगता के 56 पॉइंट्स होंगे। जैसे 1 पैर से दिव्यांग को 10 अंग, 1 पैर में पोलियो होने पर 6 और दोनों पैर में पोलियो होने पर 2 पॉइंट मिलेंगे।
फीस भी नहीं मिलती: राज्य एसोसिएशन के अध्यक्ष अचिन बैनर्जी का कहते हैं कि अभी कहीं से फंड नहीं मिल रहा है। जो कुछ भी है, हम अपने प्रयासों से कर पा रहे हैं। गौरतलब है कि इनमें से कोई खिलाड़ी टीचर है तो एक मॉल में नौकरी करता है। कई खिलाड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इन्हें खेल के एवज में कोई फीस नहीं मिलती।