Chhattisgarh Tourism Places || छत्तीसगढ़ पर्यटन स्थल
पिल्खा पहाड़ सूरजपुर छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ राज्य (Chhattisgarh State) में अनेकों प्राचीन एवं ऐतिहासिक जगहें हैं जो वर्तमान में आस्था का केंद्र बना हुआ है। उन्ही में से एक है सूरजपुर (Surajpur) जिले का पिलखा पहाड़ जो काफी ऐतिहासिक है। इस पहाड़ का इतिहास राम वन पथ गमन से भी जुड़ा हुआ है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि प्रभु श्री राम जब वनवास के लिए निकले थे तो छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया जिले से होते हुए ही इसी रास्ते सरगुजा के रामगढ़ तक गए थे।
पहाड़ के अंदर से पत्थरों एस आ रहा पानी : वर्तमान में पिलखा पहाड़ में एक ऐसा कुंड भी मिला है जिसमें पहाड़ के अंदर से पानी आ रहा है। यह भी कहा जाता है कि जिस जगह पर पानी का कुंड है वहां एक ऋषि तपस्या करते थे जिनका इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। यहां के कुंड के स्थान में प्राकृतिक जल स्त्रोत से पानी आ रहा है। उसे छीपली नामक पानी से भी पुकारा जाता है। मान्यता यह भी है कि इस स्थान पर विश्वा ऋषि तपस्या करते थे तथा ठीक इसके बगल में छिपली पानी (कुंड) स्थित है।
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मुनि का निवास स्थल था यह स्थल : पिलखा पहाड़ के पास में बसे गांव के भोला सिंह यह बताते हैं कि इस जलस्रोत का नाम प्राचीन काल से ही छिपली पानी रखा गया है। पूर्वज यह भी बताते हैं कि यहां जो पानी बहता है वो एक थाली के आकार का था। उसी की वजह से इसको छिपली पानी कहते हैं। स्थानीय भाषा में भी छिपली को थाली कहा जाता हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पहाड़ के नीचे का पत्थर गुफानुमा कटा हुआ है। उसके नीचे के कुंड में बारह महीने भर पानी भरा रहता है जो हमेशा ठंडा रहता है. जो लोग पहाड़ में आते हैं वे इस पानी का उपयोग पेय जल के रूप में भी करते हैं। बताया यह भी जाता है कि विश्वा मुनि का यहीं निवास हुआ था। वे यहीं पर बैठकर ध्यान करते थे। यहां पर भोलेनाथ की मूर्ति भी स्थापित है।
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छिपली की पानी का उपायोंग स्थानीय पीने के लिए भी करते है : आपको यह भी बता दें कि पिलखा पहाड़ का छिपली पानी आसपास के लोगों के लिए बहुत ही खास है। इस जगह पर जो कुंड है उसमें पानी पहाड़ों के अंदर से आता है। जो हमेशा ठंडा रहता है। जो लोग वनोपज की तलाश में इस पहाड़ में आना जाना करते हैं वे छिपली का पानी ही पीते हैं क्योंकि इतने बड़े पहाड़ में तथा कहीं जलस्रोत नहीं है। वैसे तो पिलखा पहाड़ के छिपली पानी की कहानी हर कोई नहीं जानता परंतु अब सोशल मीडिया में इस जगह के बारे में काफी जानकारियां उपलब्ध हो गईं हैं। जानकारी मिलने के बाद लोग इस जगह पर सैर सपाटा करने के लिए पहुंचते हैं।
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पर्यटक का अनुभव : ये बहुत प्राचीन पहाड़ है। इसके पीछे की कहानी उदयपुर में रामगढ़ पहाड़ से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि इस पहाड़ को लक्ष्मण जी तथा हनुमान जी वहां ले जा रहे थे तो बीच में ये टूटकर यहां रह गया। इसके बाद से दोबारा इस पहाड़ को किसी ने ले जाने का प्रयास भी नहीं किया गया। ये पहाड़ तब से यहां स्थित है। इसके अलावा इस पहाड़ पर विश्व मुनि भी रहे हैं। इस तरह की बातें इतिहास में सुनने को मिली है। अभी छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा इसे भी पर्यटन में लिया गया है।
Source –abplive.com
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