हाटकेश्वर महादेव मंदिर रायपुर | Hatkeshwar mahadev ghat raipur | Chhattisgarh tourism places

 
Hatkeshwar Mahadev Temple Raipur : छत्तीसगढ़ के राजधानी कहे जाने वाले रायपुर में वैसे तो काफी खुबसुरत व धर्मिक मंदिर विराजमान है जिनमे से एक प्रमुख मंदिर है हाटकेश्वर महादेव मंदिर जो राजधानी रायपुर के मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर पाटन मार्ग में खारून नदी के किनारे स्थिर है, जिसकी खूबसूरती को बरक़रार रखने स्थानीय प्रशासन ने काफी निर्माण किये है जो लोगो को काफी पसंद आते है | तो चलिये आज हम बात करते है एक पवत्र शिव मंदिर हाटकेश्वर महादेव मंदिर के बारे में, यह प्रसिद्ध मंदिर रायपुर में रहने वाले लोगो के पसंदीदा जगह महादेव घाट पर विराजमान हैै। यह मंदिर खारुन नदी के तट पर होने की वजह से महादेव घाट के नाम से प्रसिद्ध है
 
 
मान्यता :
 
वैसे तो छत्तीसगढ़ में भगवान शिव पर आधारित अनेक मंदिर हैं और सबकी अपनी अलग मान्यताएं भी हैं। लेकिन आप इस मंदिर की मान्यता सुनकर दंग हो जाएंगे। महादेव पर आस्था रखने वाले श्रद्धालुओ की माने तो वे कहते है कि जो लोग बाबा के दर्शन करने उज्जैन के महाकाल नहीं जा सकते वे श्रद्धालु यदि ब्रह्म मुहूर्त में सच्चे मन से यहां पर प्रार्थना करे तो उनकी सारी प्रर्थाना स्वीकार होती है और महादेव उनकी हर प्रार्थना को पूरी करते हैं।
 
 
 
एक मान्यता ऐसी भी :
 
एक मान्यता ऐसी भी है की भगवान हनुमान महादेव को अपने कंधे पर यहां लेकर आए थे। इस कथा के चलते ही यह मंदिर दूर-दूर तक जाना – पहचाना जाता है। कहते है कि इस मंदिर की मान्यता भगवान श्रीराम के वन गमन के समय हुई थी। वनवास के दौरान जब वे छत्तीसगढ़ के इस इलाके से गुजरे तब इस शिवलिंग की स्थापना लक्ष्मण के द्वारा हुई थी। कहते है कि स्थापना के लिए हनुमान जी ने अपने कंधे पर शिव जी को लेकर निकल पड़े जब बाद में ब्रम्हा देवता को आमंत्रण करने गए तब तक देर हो गई। इधर लक्ष्मणजी देरी होने से क्रोधित हो रहे थे, क्योंकि स्थापना के समय में देर हो गई थी। जहां स्थापना की योजना बनाई थी, वहां स्थापना न करके स्थापना के समय को देखते हुए खारुन नदी के तट पर ही स्थापना कर दी गयी
Hatkeshwar Mahadev
Hatkeshwar Mahadev Statue Raipur
 
मंदिर की बनावट :
 
इस मंदिर का गर्भगृह मंदिर में प्रवेश करने वाले कई सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने पर दिखाई देता है। मंदिर के गर्भगृह तक जाने के रास्ते में आपको कई सरी मूर्तियां देखने को मिलेंगी। जब लोग इस मंदिर पर दर्शन को जाते हैं तो वे अपने साथ थोड़ा सा चावल लेकर अन्दर जाते हैं और गर्भगृह तक जाते – जाते सभी मूर्तियों चावल चढ़ाते हुए जाते हैं। मेले के अलावा हर वक्त इस मंदिर के बाहर छोटी-छोटी दुकानें स्थित होती है जहां से लोग भगवान महादेव की मूर्तिया प्रसाद आदि खरीद सकते हैं। स्थानीय प्रसासन द्वारा खारुन नदी के तट के आस – पास अनेक छोटे – बड़े मंदिर बन गए हैं। लेकिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण हटकेश्वर महादेव मंदिर का होता है। यह मंदिर बाहर से आधुनिक प्रतीत होता है, परन्तु संपूर्ण संरचना को देखने से इसके उत्तर – मध्यकालीन होने का अनुमान लगाया जा सकता है। महादेव घाट में ही विवेकानंद आश्रम के संस्थापक स्वामी आत्मानंद (1929-1981) की समाधि भी स्थित है।
 
 
निर्माण कार्य कल्चुरिये द्वारा किया गया था :-
 
इस पूरे मंदिर परिसर का निर्माण कार्य कलचुरी वंश के राजाओं द्वारा कराया गया था। कलचुरी वंश के राजाओं ने छत्तीसगढ़ में अनेको मंदिर बनवाई है ये उनमे से एक है। मंदिर के एक पत्थर शिलालेख से पता चलता है कि यह कलचुरी राजा द्वारा वर्ष 1402 में बनाया गया था। संस्कृत में ब्रह्मदेव राय की स्मारकीय लिपि अभी भी महंत घासीदास मेमोरियल संग्रहालय में संरक्षित है। रायपुर के कलचुरी राजाओं ने सर्वप्रथम इस क्षेत्र में अपनी राजधानी बनाई थी। राजा ब्रह्मदेव के विक्रम संवत् 1458 अर्थात 1402 ई. के शिलालेखों से ज्ञात होता है कि हाजीराज ने यहां हटकेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराया था।
 
 
 
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बनाया गया लक्ष्मण झुला :-
 
इस मंदिर को एक अलग पहचान देने के लिए यहां पर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लक्ष्मण झूला महादेव घाट पर बनाया गया है। आपको बता दें कि मंदिर से निकलते ही कुछ कदम पैदल चलने के बाद ही आपको यह लक्ष्मण झूला देखने को मिलेता है। इसे लक्ष्मण झूला व महादेव घाट के नाम सेे प्रदेश भर में जाना जाता है। यह झूला छत्तीसगढ़ का पहला सस्पेंशन ब्रिज है और यह ब्रिज ऋषिकेश में गंगा नदी पर बने लक्ष्मण झूले के नकल से बनाया गया है। आपको बता दें कि झूला के निर्माण में लगभग 6 करोड़ की लागत आई है। इस ब्रिज का निर्माण छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल में कराया गया था। इस लक्ष्मण झूले को देखने के लिए भी दूर दूर से लोग आते हैं और यह रायपुर के पास में स्थित है। इसलिए यहां पर आने वाले लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी जाती है। अगर आप पाटन रोड से रायपुर जा रहे हैं तो आपको रास्ते में ही लक्ष्मण झूला महादेव घाट का दर्शन हो जाएगा। इसके दूसरे ओर एक गार्डन भी बनाया गया है इस गार्डन का निर्माण इस तरीके से कराया गया है कि लक्ष्मण झूला से उतरते ही गार्डन तक आसानी से पहुंचा जा सके।
 
 
सावन के महीने में लगती है भीड़ :
 
भोलेनाथ के भक्तों की आस्था के कारण महादेव घाट स्थित इस महादेव के मंदिर में सप्ताह के सातों दिन काफी भीड़ देखी जाती हैं।इसके साथ ही यहां पर आने वाले भक्तों की संख्या में सावन के माह में अचानक वृद्धि देखी जाती है और यहां पर दूर-दूर से लोग बाबा के दर्शन के लिए आते हैं।
 
 
Hatkeshwar Mahadev
Hatkeshwar Mahadev Temple
 
कार्तिक माह की पुन्नी मे लगता है मेला :
 
आपको बता दें कि इस मंदिर के बाहर हर वर्ष कार्तिक माह में पुन्नी को मेला लगता है। यह मेला 2 दिन का होता है जो कि पूरे प्रदेश में महादेव घाट मेला के नाम से प्रसिद्ध है। 2 दिन के मेले में लोग छत्तीसगढ़ के सभी कोनो से यहाँ आते हैं। इस मेले के दौरान हजारों लोग इकट्ठा होते हैं। मेले में शामिल होने वाले अधिकतर लोग भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिर में अवश्य प्रवेश करते हैं। वहीं कुछ लोग केवल मेला घूम कर वापस चले जाते हैं।
 
 
500 वर्षो से जल रही है जयोति कलश :
 
इस मंदिर की खास बातों में से एक बात यह है कि यहां पर विगत 500 वर्षों से एक पुराने अखंड ज्योति धुमा प्रज्ज्वलित की जा रही है। लोगों का मानना है कि इस अखंड ज्योति के दर्शन मात्र से लोगों के कष्ट दूर होते हैं तो वहीं कुछ लोग इस ज्योति के ताव से अपने रुद्राक्ष को सिद्ध करते हैं।
 
 
पिंडदान :
 
खारुन नदी में जाकर यहां पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान भी किया जाता है। गया और काशी की तरह यहां विशेष पूजा पाठ भी किया जाता है।
 
हाटकेश्वर महादेव मंदिर व महादेव घाट कैसे पहुंचे :-
 
सड़क मार्ग महादेव मंदिर तक पहुंचने के लिए रायपुर मुख्यालय से पक्की सड़क आपको आसानी से मिल जायेगी जिससे आप अपने वाहनों के माध्यम से पहुंच सकते हैं। यह रायपुर मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर की दुरी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थिर है |
 
रेल मार्गमहादेव मंदिर से सबसे निकतम रेलवे स्टेशन है, रायपुर रेलवे स्टेशन जिसकी दुरी लगभग 16 किलोमीटर है।
 
हवाई मार्गमहादेव मंदिर से सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, रायपुर हवाई अड्डा है जिसकी दूरी लगभग 16 किलोमीटर है।

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