बघेल सरकार ने रचा एक नया रिकॉर्ड, यह कारनामा करने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री बने भूपेश बघेल, Chhattisgarh Budget 2022 Presented By Bhupesh Baghel

 


रायपुर छत्तीसगढ़ : पर्यावरण संरक्षण तथा आर्थिक सशक्तीकरण के क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाले छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक नया इतिहास रच दिया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा बजट पेश करने के लिए जिस ब्रीफकेस का इस्तेमाल किया गया जो चमड़े अथवा जूट का नहीं होकर गोबर के बाई प्रोडक्ट से बना हुआ है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा बजट के लिए इस्तेमाल किए गए ब्रीफकेस को गोबर के पाउडर से निर्मित किया गया है जिसे महिला स्वसहायता समूह की दीदी नोमिन पाल के द्वारा बनाया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिन्होंने मां लक्ष्मी के प्रतीक के रूप में स्तेमाल होने वाले गो-धन से निर्मित ब्रीफकेस का इस्तेमाल किया जाता है।


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नगर निगम रायपुर के गोकुल धाम गोठान में काम करने वाली ’एक पहल’ महिला स्वसहायता समूह की दीदियों के द्वारा गोबर तथा अन्य उत्पादों के इस्तेमाल से इस ब्रीफकेस का निर्माण किया है तथा इसी ब्रीफकेस में छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा आज विधानसभा में बजट पेश किया गया है। इस ब्रीफकेस की खासियत ये है कि इसे गोबर पाउडर, मैदा लकड़ी, चुना पाउडर तथा ग्वार गम के मिश्रण को परत दर परत लगाकर कुल 10 दिनों की कड़ी मेहनत से तैयार किया गया है। बजट के लिए विशेष तौर पर तैयार किए गए इस ब्रीफकेस के हैंडल तथा कार्नर कोंडागांव शहर के समूह के द्वारा बस्तर आर्ट कारीगर से तैयार करवाया गया है।


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छत्तीसगढ़ राज्य की गोधन न्याय योजना के द्वारा पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बनायी हुई है। पहले किसी के द्वारा इसकी कल्पना भी नहीं की गई थी कि गोबर से कोई सामग्री भी तैयार किया जा सकता है। लेकिन गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की संकल्पना के साथ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा गोबर को छत्तीसगढ़ राज्य की आर्थिक क्रांति के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसकी तारीफ प्रधानमंत्री एवं कृषि मामलों की संसदीय समिति भी कर चुके है। गोधन न्याय की आर्थिक क्रांति से छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 10591 गौठानों की स्वीकृति मिल चुकी है। इनमें से कुल 8048 गौठानों का निर्माण पूरा भी हो चुका है। राज्य के 2800 गौठान स्वावलंबी भी हो चुके हैं जहां पशुपालक ग्रामीणों से गोबर खरीदी हेतु स्वयं की पूंजी का निवेश करने लगे हुए हैं।


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