Bilaspur highcourt बिलासपुर हाईकोर्ट : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा एक विशेष याचिका की सुनवाई करते हुए एक बड़ा एवं ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते कहा है कि कानूनी रूप से खुद की पत्नी के साथ पति द्वारा जबरदस्ती संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है। बिलासपुर हाईकोर्ट द्वारा रायपुर के रहने वाले एक व्याक्ति की याचिका पर यह फैसला लिया गया है।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट द्वारा फैसला सुनाने के अलावा याचिका दायर करने वाले व्याक्ति को वैवाहिक बलात्कार के आरोपों से भी मुक्त किया है । साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि पति के खिलाफ दर्ज अप्राकृतिक सेक्स एवं दहेज प्रताड़ना के मुकदमे चलते ही रहेंगे ।
पत्नी द्वारा अपने पति पर दर्ज कराया गया था FIR : यह मामला रायपुर जिले से जुड़ा हुआ है , रायपुर सहर में रहने वाले इस युवक की शादी बेमेतरा की रहने वाली एक लड़की से सन् 2017 में हुई थी । शुरूआत में दोनों के बीच सबकुछ अच्छा चल रहा था परन्तु अचानक उनके बीच अनबन शुरू हो गया । पत्नी ने अपने पति पर अप्राकृतिक रूप से संबंध बनाने सहित एवम दहेज प्रताड़ना सहित बलात्कार के तहत FIR दर्ज करा दिया ।
हाईकोर्ट में भी पहुंची याचिका : पत्नी की रिपोर्ट करने के बाद पूरा मामला बेमेतरा जिला के न्यायालय में पहुंचा । जहां अदालत द्वारा रायपुर निवासी युवक को तीनों आरोपों में दोषी करार दे दिया । हालांकि बेमेतरा कोर्ट के द्वारा इस पर अभी तक सजा नहीं सुनाई गाई है। इसी बीच पति ने निचली अदालत द्वारा किए गए इस फैसले को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित हाईकोर्ट में अपने वकील के जरिए चुनौती दिया था । और अब हाईकोर्ट ने उसे बलात्कार के आरोपों से मुक्त कर दिया है।
अधिवक्ता वायसी शर्मा ने दी जानकारी : छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अर्थात् हाईकोर्ट के अधिवक्ता वायसी शर्मा के द्वारा मामले की जानकारी देते हुए बताया गया है कि यह एक बहुत बड़ा फैसला है, उनके द्वारा यह भी कहा गया की हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार शादी के बाद कानूनी रूप से अपने वैवाहिक पत्नी के साथ पति द्वारा जबरदस्ती संबंध बनाने को दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं लिया जा सकता । उन्होंने यह भी बताया है, कि जज “एनके चंद्रवंशी ” ने सारे तर्क एवं जजमेंट को देखने के बाद ही एक बड़ा एवं ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता पीड़ित युवक को खुद के पत्नी द्वारा लगाए गए वैवाहिक बलात्कार के आरोप से मुक्त किया गया है। इसके साथ ही पत्नी द्वारा लगाए गए जबरदस्ती के संबंध के आरोप को भी रेप की श्रेणी में नहीं माना गया है, लेकिन पति पर लगाए गए अन्य मामले दर्ज ही रहेंगे ।