जगदलपुर : संभागीय मुख्यालय से महज 11 किमी की दूरी पर स्थित मोरठपाल के कोयार नाले में शनिवार की सुबह नहाने गए ग्रामीणों ने 3 मगरमच्छों को देखा। फौरन इसकी सूचना जगदलपुर वन अमले को दी गई। सूचना मिलने के तुरंत बाद वन विभाग की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। वहीं कोयार नाले में बने डैम के पास रेस्क्यू टीम मगरमच्छों को पकड़ने की कोशिश में लगी हुई है। लेकिन अब तक एक भी रेस्क्यू टीम के हाथ नहीं लग पाया है। इधर ग्रामीणों में भी दहशत देखने को मिल रही है।
पानी में नहाने उतरा था युवक, सामने था मगरमच्छ
बताया जा रहा है कि शनिवार की सुबह गांव के कुछ ग्रामीण नाले में नहाने के लिए गए हुए थे। उनमें से एक युवक ने नहाने के लिए पानी में छलांग लगाई। उसी समय पास में खड़े अन्य ग्रामीणों ने पानी में तैरते हुए मगरमच्छ का सिर देखा। जिसके बाद उन्होंने पानी के अंदर नहा रहे युवक को फौरन बाहर निकलने को कहा। देखते ही देखते ग्रामीणों की भीड़ इकठ्ठा होनी शुरू हो गई। कोयार नाले के दूसरी छोर में दूसरा मगरमच्छ भी ग्रामीणों को दिखा। जिन्होंने इसकी सूचना वन अमले को दी।
डैम के पास बिछाया जाल, अब तक एक भी नहीं पकड़ाए
जगदलपुर DFO स्टायलो मंडावी ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना मिलने के बाद रेस्क्यू टीम को भेजा गया है। नाले में स्थित डैम के पास लगभग 2 से 3 जाल बिछाए गए हैं। हालांकि ग्रामीणों की शोरगुल की वजह से मगरमच्छ अभी नजर नहीं आ रहे है। इस नाले में शनिवार की सुबह लगभग 3 से 5 फिट लंबे 3 मगरमच्छ को देखा गया। रेस्क्यू टीम के द्वारा मगरमच्छों को पकड़ने की पूरी कोशिश की जा रही है।
इंद्रावती नदी से आए तीनों मगरमच्छ
कोयार नाला इंद्रावती नदी के बेहद करीब है। रोजाना सुबह और शाम के समय नहाने के लिए ग्रामीणों की भीड़ यहां उमड़ती है। बताया जा रहा है कि इंद्रावती नदी से ही मगरमच्छ खेतों के सहारे होते हुए कोयार नाले में आए हैं। अभी मगरमच्छों का प्रजननकाल भी चल रहा है। ये मगरमच्छ नाले में कब से हैं, हालांकि इसकी जानकारी अभी नहीं है। इन मगरमच्छों को मीठे पानी का मगर कहा जाता है।
पाहुरनार घाट से मगरमच्छ के 17 बच्चों का किया था रेस्क्यू
27 जून को इंद्रावती नदी के पाहुरनार घाट से ग्रामीणों की सूचना के बाद मगरमच्छ के 17 बच्चों का रेस्क्यू किया गया था। जिन्हें ग्रामीणों ने इंद्रावती नदी के पास में ही स्थित बरसाती नाले में देखा था। वन अमले ने रेस्क्यू कर सभी को सुरक्षित इंद्रावती नदी में छोड़ दिया था।